उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो
पितृपक्ष की पंचमी तिथि को कुंवारा पंचमी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन उन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु अविवाहित रहते हुए हुई हो।हिंदू धर्म में पितृपक्ष का खास महत्व बताया गया है. मान्यता है कि इस अवधि में किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से पितरों की आत्मा को तृप्ति और शांति प्राप्त होती है. हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा के बाद से पितृपक्ष की शुरुआत होती है और यह अमावस्या तक चलता है. इस बार पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है और इसका समापन 21 सितंबर को होगा. पितृपक्ष में कई खास तिथियां आती हैं जिनमें से एक है पंचमी तिथि, जिसे कुंवारा पंचमी कहा जाता है. इस दिन उन पितरों का श्राद्ध करने का विधान है, जिनकी मृत्यु अविवाहित अवस्था में हुई हो।
