उत्तराखंड डेली न्यूज: ब्योरो
थराली में अगस्त में आई भीषण आपदा के पीड़ितों को जरूरी सुविधाएं और मुआवजा न दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की रिपोर्ट पर असंतुष्टि जताई और मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद तय की है।हाईकोर्ट ने थराली तहसील में 22 और 28 अगस्त को आई आपदा के बाद वहां के लोगों को जरूरी सुविधाएं न दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की।राज्य सरकार की ओर से मामले में अपनी रिपोर्ट पेश की गई। जिसपर याचिकाकर्ता ने पीड़ितों को मुआवजा न दिए जाने समेत कई गंभीर सवाल उठाए। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ सरकार की इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुई। मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता से भी इस पर अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है। अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी। थराली निवासी अधिवक्ता सिद्धार्थ सिंह नेगी ने ग्रामीणों की समस्या को लेकर जनहित याचिका दायर की है।जिसमें उन्होंने कहा है कि पहले राज्य सरकार प्रभावितों को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराए। कुदरत के कहर पर किसी का जोर नहीं है, लेकिन राज्य सरकार प्राथमिक तौर पर उनको बचाने के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया करा सकती है। इसी साल अगस्त में थराली तहसील में दो बार बादल फटने की वजह से भीषण आपदा आई थी। जिसमें भारी जनधन की हानि हुई थी। कई घर आपदा में बह गए थे। याचिका में कहा गया है कि थराली तहसील उस घटना से उबर नहीं पा रहा है। स्थानीय लोग रोजगार ढूंढने के बजाय अपनों की खोजबीन कर रहे हैं। सरकार से उन्हें दी जा रही सुविधाएं भी नाकाफी हैं।
मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने को हाईकोर्ट ने मांगे सुझाव
हाईकोर्ट ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को लेकर दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए याचिकाकर्ता से ही कोर्ट में सुझाव पेश करने को कहा है। देहरादून निवासी अनु पंत ने जनहित याचिका दायर कर रखी है। सुनवाई पर याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि पूर्व में दिए निर्देशों पर अभी तक राज्य सरकार ने ठोस एसओपी पेश नहीं की है।
आसन बैराज मामले में अब सोमवार को होगी सुनवाई
नैनीताल हाईकोर्ट ने देहरादून के आसन बैराज पर बने पुलों पर भारी वाहन चलाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए अब सोमवार की तिथि तय की है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ सुनवाई हुई। उत्तराखंड जल विद्युत निगम की ओर से कहा गया कि 15 पुलों में से सात पुलों को जनहित में राज्य सरकार को सौंप दिया गया है।
