उत्तराखंड डेली न्यूज:ब्योरो
यह व्यवस्था 1970 के दशक के अंत में मौजूद थी, लेकिन राज्य पुलिस और सीमा बलों के बीच वित्तीय विवाद के चलते इसे बंद कर दिया गया था। अब गृह मंत्रालय राज्य और केंद्रीय बलों के बीच समन्वयक की भूमिका निभा सकता है।केंद्र सरकार सीमा विंग होमगार्ड्स (BWHG) को फिर से सक्रिय करने की योजना बना रही है, ताकि चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात बलों को स्थानीय सहयोग मिल सके। सूत्रों के अनुसार, यह कदम हाल ही में लद्दाख में हुई हिंसक आंदोलन और पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर उठाया जा रहा है। सीमा विंग होमगार्ड्स में स्थानीय लोगों को शामिल किया जाएगा, जो भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के लिए ‘आंख और कान’ की भूमिका निभाएंगे।यह व्यवस्था 1970 के दशक के अंत में मौजूद थी, लेकिन राज्य पुलिस और सीमा बलों के बीच वित्तीय विवाद के चलते इसे बंद कर दिया गया था। अब गृह मंत्रालय राज्य और केंद्रीय बलों के बीच समन्वयक की भूमिका निभा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि भुगतान को लेकर विवाद अभी भी सबसे बड़ी चुनौती है।भारत और चीन की सीमा 3,488 किमी लंबी है। जो कि अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल और लद्दाख से होकर गुजरती है। वहीं, पाकिस्तान से इसकी लंबाई करीब 3,323 किमी है, जो कि गुजरात, राजस्थान, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को छूती है। भारत-बांग्लादेश की सीमा 4,096.7 किमी लंबी है। यह पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम से होकर गुजरती है। वर्तमान में भारत “वन बॉर्डर, वन गार्डिंग फोर्स” के सिद्धांत पर काम करता है। इसके मुताबिक, ITBP चीन सीमा पर और BSF पाकिस्तान व बांग्लादेश सीमा पर तैनात है। अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकी हमले में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) समर्थित द रेजिस्टेंस फोर्स (TRF) ने 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी। हमले के बाद मई में भारतीय बलों ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसके तहत आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। जुलाई में ऑपरेशन महादेव में तीन आतंकियों को मार गिराया गया, जो कई हमलों में शामिल थे।इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कर रही है और अब तक दो स्थानीय लोगों को पाकिस्तानी आतंकियों को पनाह देने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है।
