उत्तराखंड डेली न्यूज: ब्योरो
हालिया आपदा के बाद देहरादून-मसूरी सड़क पर कुठालगेट, कोल्हूखेत और ग्लोगी समेत करीब 10 खतरनाक मोड़ (डेंजर जोन) बन गए हैं, जहां भूस्खलन और सड़क धंसने का खतरा बना हुआ है, जिसके ट्रीटमेंट के चलते रोजाना जाम लग रहा है।देहरादून से मसूरी का सफर इन दिनों खतरे से भरा है। हालिया आपदा के बाद 35 किमी लंबी दून-मसूरी रोड पर करीब 10 डेंजर जोन बन चुके हैं। कुठालगेट से लेकर मसूरी तक हर तीन किमी पर एक खतरनाक मोड़ (डेंजर जोन) है।कोल्हूखेत, ग्लोगी और कुठालगेट-शिव मंदिर क्षेत्र सबसे जोखिम भरे हैं। यहां सड़क धंसने के साथ ही पहाड़ी से मलबा गिरने का खतरा है। ट्रीटमेंट के चलते रोज जाम लग रहा है, जिससे लोग परेशान हैं। वीकेंड पर भी लोगों को जाम से दो-चार होना पड़ता है। कुठालगेट के पास आपदा के समय पुल क्षतिग्रस्त होने पर वैली ब्रिज बना था। दबाव बढ़ने से यह हिस्सा जाम का कारण बना है।
कोल्हूखेत: ऊपर से झरना, नीचे धंसी सड़क
आपदा में कोल्हूखेत की सड़क धंसी थी। लोनिवि दीवार और पुश्ता बनाकर मरम्मत कर रही है, मगर यह सड़क सिंगल लेन है। ऊपर से झरने का पानी सड़क पर गिरता है, जिससे पत्थर भी गिर सकते हैं। पुलिस दिनभर एक ओर का ट्रैफिक रोक दूसरी ओर से वाहन निकालती है। कई बार दोनों ओर कई किमी लंबा जाम लग जाता है।
कई स्थानों पर पत्थर गिरने का भी खतरा
कोल्हूखेत से लेकर मसूरी तक कई जगह पहाड़ी से पत्थर गिरने का डर बना रहता है। लोक निर्माण विभाग ने संवेदनशील स्थलों पर चेतावनी बोर्ड लगाए हैं। वहीं, स्थानीय लोगों के अनुसार, भट्टा गांव और मसूरी झील के पास सुरक्षा डिवाइडर क्षतिग्रस्त हैं, जिससे गहरी खाइयों के ऊपर वाहन चलाना जोखिम भरा है।ईई-लोनिव (प्रांतीय खंड) राजेश कुमार का कहना है कि इस महीने अंत तक कोल्हूखेत में ट्रीटमेंट का काम पूरा कर लिया जाएगा। कुठालगेट-शिव मंदिर के पास वैली ब्रिज दो लेन है, मुख्य पुल के निर्माण का डिजाइन तैयार किया जा रहा है। ग्लोगी में सड़क किनारे सामग्री जल्द हटाई जाएगी।ग्लोगी: ट्रीटमेंट के बाद भी बरकरार है खतरा,ग्लोगी क्षेत्र भूस्खलन के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। पहाड़ी पर ट्रीटमेंट और पानी निकासी के लिए सीढ़ीनुमा नहर तो बनाई गई, लेकिन काम अधूरा है। भूस्खलन अब भी जारी है। सड़क के किनारे निर्माण सामग्री और नुकीले सरियों के बंडल रखे गए हैं, जो न केवल जाम, बल्कि दुर्घटना का भी कारण बन रहे हैं।
