उत्तराखंड डेली न्यूज: ब्योरो
हरिद्वार में पर्यटन का नया अनुभव तैयार हो रहा है. श्यामपुर स्थित ब्रिटिश कालीन जेल, जो सुल्ताना डाकू से जुड़ा इतिहास रखती है, अब एडवेंचर टूरिज्म का केंद्र बनने जा रही है. पर्यटन विभाग इसे झिलमिल झील सफारी के साथ जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है, जिससे यहां आने वाले सैलानी इतिहास और रोमांच का अनोखा अनुभव ले सकेंगे.उत्तराखंड का हरिद्वार अपने धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है, लेकिन अब पर्यटन विभाग इतिहास और रोमांच को जोड़कर यहां के अनुभव को और भी रोचक बनाने की योजना बना रहा है. श्यामपुर इलाके में स्थित अंग्रेजों की पुरानी जेल को संरक्षित कर इसे एडवेंचर टूरिज्म से जोड़ने की तैयारी की जा रही है.सुल्ताना डाकू से जुड़ा है जेल का इतिहास,श्यामपुर में खंडहर नुमा यह इमारत करीब सवा सौ साल पुरानी है. पहले अंग्रेज इस जगह से कानून व्यवस्था संभालते थे और इसे जेल या थाने के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. खास बात यह है कि इस जेल का इतिहास 20वीं सदी की शुरुआत में सक्रिय रहे इंडियन रोबिन हुड, सुल्ताना डाकू, से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि सुल्ताना डाकू को पकड़ने के लिए फ्रेडी यंग नामक एक विशेष अधिकारी को बुलाया गया और गिरफ्तार होने के बाद उसे कुछ समय के लिए इसी जेल में रखा गया.पर्यटन विभाग अब इस इमारत को संरक्षित कर इसे झिलमिल झील सफारी के साथ जोड़ने की योजना बना रहा है. इससे यहां आने वाले सैलानी न केवल इतिहास का अनुभव करेंगे बल्कि एडवेंचर टूरिज्म का भी आनंद ले सकेंगे.कहानियों में मशहूर सुल्ताना डाकू,हरिद्वार, बिजनौर, कोटद्वार और मुरादाबाद के इलाके में सुल्ताना डाकू के बारे में कई कहानियां और किंवदंतियां प्रचलित हैं. उसे अंग्रेजों और अमीरों से धन लूटकर गरीबों की मदद करने वाला रॉबिन हुड बताया जाता है. सुल्ताना डाकू के साहसिक और रोचक कृत्यों के कारण लोग उसे एक आकर्षक और रोचक किरदार मानते हैं. सुल्ताना के नजीबाबाद स्थित किले पर भी सैलानियों का तांता लगा रहता है.श्यामपुर के स्थानीय लोग मानते हैं कि अगर इस जेल को “सुल्ताना डाकू की जेल” के नाम से प्रचारित किया जाएगा, तो पर्यटक यहां जरूर आएंगे. गंगा स्नान और धार्मिक स्थलों के साथ एडवेंचर टूरिज्म को जोड़कर यह जगह हर उम्र के सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकती है.
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एडवेंचर टूरिज्म को लगेंगे पंख
पर्यटन विभाग ने कहा है कि जंगल सफारी और एडवेंचर टूरिज्म के अनुभव को इस पुरानी जेल के साथ जोड़ने से क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेंगी. इस योजना के पूरा होने के बाद हरिद्वार में आने वाले लोग इतिहास, रोमांच और साहसिक गतिविधियों का अनोखा अनुभव ले सकेंगे.श्यामपुर में ब्रिटिश कालीन जेल को सुल्ताना डाकू की यादों से जोड़कर संरक्षित करना न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि युवाओं और इतिहास प्रेमियों के लिए भी यह एक आकर्षक स्थल बनेगा. यह परियोजना हरिद्वार को धार्मिक और साहसिक पर्यटन का केंद्र बनाने में मदद करेगी.
