उत्तराखंड डेली न्यूज: ब्योरो
उत्तराखंड में लंबे समय से बारिश न होने के कारण उत्तरकाशी और बागेश्वर सहित कई जिलों के जंगल धधक रहे हैं, जिससे न केवल वन संपदा को नुकसान हो रहा है बल्कि वायु प्रदूषण में भी भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।उत्तराखंड में एक तरफ लोग सर्दी और कोहरे से ठिठुर रहे हैं दूसरी तरफ पहाड़ों पर जंगल धधक रहे हैं। गुरुवार को उत्तरकाशी और बागेश्वर में आग से जंगलों को खासा नुकसान हुआ। बागेश्वर में देर शाम तक आग पर काबू पा लिया गया था लेकिन उत्तरकाशी में जंगल जलने का सिलसिला जारी था। वन विभाग की वेबसाइट के मुताबिक प्रदेश में एक नवंबर के बाद आठ हेक्टेयर जंगल जल चुका है। हालांकि जिलों से मिली रिपोर्ट के अनुसार आंकड़ा इससे बहुत ज्यादा है। लंबे समय से बारिश न होना जंगल में आग भड़कने की मुख्य वजह है।उत्तरकाशी के बड़कोट में अपर यमुना वन प्रभाग क्षेत्र में गुरुवार शाम जंगल धू-धू कर जलने लगे। देखते ही देखते आग ने जंगल के बड़े क्षेत्र को चपेट में ले लिया। देर रात तक वन विभाग की टीम आग बुझाने में जुटी रही। मंगलवार को भी इस क्षेत्र में कंसेरु गांव का जंगल जल गया था। बागेश्वर में भी गुरुवार को दो जगहों पर आग लगी, जिसे वन विभाग ने काबू कर लिया। वन विभाग के अनुसार एक सप्ताह के भीतर बागेश्वर में आग की यह चौथी घटना है। इसमें अब तक पांच हेक्टेयर जंगल जल चुका है।वन विभाग की वेबसाइट के अनुसार राज्य में एक नवंबर के बाद आग की 20 बड़ी घटनाएं अब तक सामने आई हैं। पौड़ी के सिविल वनों में एक और दो दिसंबर को कोट ब्लॉक में 5 हेक्टेयर जंगल जल गया। 9 दिसम्बर को सिराला में भी सिविल वन में आग की घटना रिपोर्ट हुई। डीएफओ सिविल पवन नेगी ने बताया कि अभी तक करीब छह हेक्टेयर में नुकसान हुआ है। रुद्रप्रयाग जिले में 15 दिसंबर को खेड़ाखाल क्षेत्र में जंगल का बड़ा क्षेत्र जल गया था। चमोली में बदरीनाथ वन प्रभाग के मध्य पिंडर रेंज में जंगलों में 13 दिसंबर को लगी आग पर 16 दिसंबर को काबू पाया गया। कुमाऊं में भी लगातार आग की घटनाएं सामने आ रही हैं।वहीं, बर्फबारी के लिए पहचाने जाने वाले मुनस्यारी में 22 दिसंबर को कालामुनी के जंगल आग की चपेट में आ गए थे। अल्मोड़ा में बीते एक सप्ताह में वनाग्नि की पांच घटनाएं हुई हैं। अधिकांश मामलों में फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पाया है।
बढ़ रहा प्रदूषण, बारिश न होने से संकट
जंगल की आग या कूड़ा जलने से उठने वाला धुआं पर्यावरण में जाकर प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा रहा है। ऐसे में अब तक हुई 1919 से ज्यादा घटनाओं ने वातावरण को काफी प्रदूषित कर दिया है। वहीं, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार गुरुवार को 53 फायर अलर्ट उत्तराखंड में जारी किए गए। जिनमें तीन बड़ी आग के थे। वन विभाग के अनुसार बारिश न होने, दिन में तेज धूप और शुष्क मौसम के कारण जंगलों में आग का खतरा लगातार बढ़ रहा है।सीसीएफ वनाग्नि प्रबंधन सुशांत पटनायक ने कहा कि जो भी अलर्ट आए हैं उनमें से 70 प्रतिशत गलत हैं। इन मामलों में जंगल के बजाय कूड़े या अन्य जगह आग लगी होती है। हालांकि हर अलर्ट को गंभीरता से लिया जाता हैै। संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाई गई है।
उत्तराखंड फायर अलर्ट में पूरे देश में नंबर वन
डेढ़ माह में 1919 से ज्यादा फायर अलर्ट आने से उत्तराखंड देश में नंबर वन पर पहुंच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि रिजर्व फॉरेस्ट में रोजाना पचास से ज्यादा अलर्ट आ रहे हैं। यह जंगल जलने के अलावा कूड़ा जलाने या अन्य किसी तरह के हो सकते हैं। सीएफ गढ़वाल आकाश वर्मा ने बताया कि कुछ जगह आग लगी है, लेकिन कुछ जगह जंगल किनारे कूड़ा जलाने के अलर्ट आ रहे हैं।
