उत्तराखंड डेली न्यूज: ब्योरो
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की रिपोर्ट के अनुसार, रुद्रप्रयाग जनपद भूस्खलन के लिहाज से देश का सबसे संवेदनशील जिला बन गया है, जिसके बाद टिहरी का स्थान है।उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जनपद भूस्खलन के लिहाज से देश का सबसे संवेदनशील जिला बन गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की हालिया लैंडस्लाइड एटलस ऑफ इंडिया रिपोर्ट के अनुसार, रुद्रप्रयाग भूस्खलन संवेदनशीलता में पहले स्थान पर है, जबकि टिहरी जिला दूसरे स्थान पर है। विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम की मौजूदगी के कारण यह क्षेत्र न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि भूगर्भीय जोखिमों के कारण भी चर्चा में रहता है।रुद्रप्रयाग सबसे जोखिम भरा,इसरो की लैंडस्लाइड एटलस ऑफ इंडिया में 17 राज्यों के 147 जिलों का विश्लेषण किया गया है। उत्तराखंड के सभी 13 जिले इस सूची में शामिल हैं, जिसमें रुद्रप्रयाग पहले और टिहरी दूसरे स्थान पर है। केरल का त्रिशूर जिला तीसरे, जबकि उत्तराखंड का चमोली जिला 19वें स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार, रुद्रप्रयाग में भूस्खलन का खतरा लगातार बना हुआ है, और वर्ष 2023 से इसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।केदारनाथ और भूस्खलन का इतिहास,रुद्रप्रयाग जनपद में बाबा भोलेनाथ का विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम स्थित है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। हालांकि, यह क्षेत्र भूस्खलन के लिए अत्यंत संवेदनशील है। वर्ष 2013 में आई भयावह आपदा, जिसमें हजारों लोगों की जान गई और कई लापता हो गए, इस क्षेत्र की भूगर्भीय अस्थिरता को उजागर करती है। सिरोबगड़ और नारकोटा जैसे क्षेत्र विशेष रूप से भूस्खलन से प्रभावित रहते हैं, और मानसून के दौरान इन घटनाओं में वृद्धि देखी जाती है।भूस्खलन के आंकड़े और प्रभाव,उत्तराखंड में भूस्खलन की स्थिति चिंताजनक है। स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर के आंकड़ों के अनुसार, 2018 से 2021 के बीच 253 भूस्खलन हुए, जिनमें 127 लोगों की जान गई। इसरो की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो दशकों में उत्तराखंड में 11,000 से अधिक भूस्खलन दर्ज किए गए। सबसे अधिक प्रभावित मार्गों में ऋषिकेश-रुद्रप्रयाग-चमोली-बद्रीनाथ, रुद्रप्रयाग-ऊखीमठ-केदारनाथ, चमोली-मुखीमठ, और ऋषिकेश-उत्तरकाशी-गंगोत्री शामिल हैं।
वर्तमान स्थिति और चुनौतियां
इसरो की ताजा रिपोर्ट में रुद्रप्रयाग को अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है। जिले में 51 डेंजर जोन चिह्नित किए गए हैं, जिनमें से कई का अस्थायी उपचार चल रहा है। जवाड़ी बाईपास के तीन प्रमुख स्थानों पर गहरा भूधंसाव हुआ है, और इस साल 13 नए भूधंसाव प्रभावी जोन सामने आए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण विभाग के अधिकारी ओंकार पांडे के अनुसार, भूगर्भीय विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद जिले में आपदाएं और जनहानि जारी है।
