उत्तराखंड डेली न्यूज: ब्योरो
मूलभूत सुविधाओं के अभाव में उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जनपद का ल्वेगढ़ गांव जनशून्य हो गया है.रुद्रप्रयाग:उत्तराखंड की पहचान एक सुंदर पहाड़ी प्रदेश के रूप में है. हरे-भरे खेत-खलिहान, पर्वत श्रृंखलाएं, प्राकृतिक सौंदर्य यहां की पहचान हैं. लेकिन राज्य अस्तित्व में आने के बाद इन 25 सालों में पलायन की मार झेल रहे कई गांव खाली हो चुके हैं. कभी लोगों से गुलजार रहने वाले गांवों को ‘घोस्ट विलेज’ कहा जाने लगा है. ऐसे ही गांवों की श्रेणी में उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिला का ल्वेगढ़ गांव भी शामिल हो गया है. ये गांव गढ़वाल के 52 गढ़ों में शामिल है.खाली होते उत्तराखंड के गांव:उत्तराखंड के पहाड़ उजड़ने के पीछे कई वजहें रही हैं. हालांकि, गांव के गांव खाली होने का मुख्य कारण बुनियादों सुविधाओं का अभाव रहा है, जिसकी बानगी हर गांव में देखने को मिल जाती है. रुद्रप्रयाग जिले का ल्वेगढ़ गांव भी ऐसी परिस्थितियों से लड़कर अब हार गया है और अब ये गांव भी वीरान हो गया है.दावों से हकीकत ठीक उलट:दरअसल, ल्वेगढ़ गांव में अंतिम निवासी 90 वर्षीय सीता देवी के निधन के बाद शेष दो बुजुर्ग महिलाएं भी ये गांव छोड़कर अपने परिजनों के पास अन्य गांवों में चली गईं, जिससे यह गांव खाली हो गया. स्वतंत्रता सेनानी शिव सिंह सजवाण का पैतृक गांव आज बुनियादी सुविधाओं के अभाव में वीरान हो गया है.जहां एक ओर सरकार रिवर्स पलायन की बात कर रही है, वहीं जमीनी हकीकत ठीक उलट दिखाई दे रही है. पहाड़ों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पलायन तेजी से बढ़ा है. गांवों में अब वीरानी छाने से जंगली जानवरों का आशियाना बनते जा रहे हैं. सरकार और प्रशासन समय रहते अगर इन गांवों में ध्यान देता तो आज स्थिति ऐसी नहीं होती.ल्वेगढ़ गांव पौराणिक काल में केंद्र बिंदु रहा है. आजादी के बाद गांव की कोई सुध नहीं ली गई. जिन ग्रामीण लोगों ने देश आजादी में अपना योगदान दिया, उनके ही गांव की आज दुर्दशा बनी है. ग्रामीण लंबे समय से सड़क, पेयजल की मांग करते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी, जिससे गांव खाली हो चुका है. क्षेत्र में अब जंगली जानवरों का आतंक बना हुआ है!स्वतंत्रता सेनानी का गांव है ल्वेगढ़:रुद्रप्रयाग जिला में स्थित स्वतंत्रता सेनानी शिव सिंह सजवाण का पैतृक गांव ल्वेगढ़ अब पूरी तरह खाली हो चुका है. गांव की अंतिम निवासी 90 वर्षीय सीता देवी के निधन के बाद शेष दो बुजुर्ग महिलाएं भी अपने परिजनों के पास अन्य गांवों में चले गए हैं, जिससे यह गांव जनशून्य हो चुका है. गांव के खाली होने का मुख्य कारण सड़क और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहा है.
पहाड़ों से पलायन के कारण
पहाड़ों में मूलभूत सुविधाओं की कमी इसका सबसे बड़ा कारण
रोजगार के संसाधनों की कमी के कारण बढ़ा पलायन
50% से ज्यादा लोगों ने रोजगार न मिलने के कारण किया पलायन
पहाड़ों में हो रही परेशानियां भी बनी पलायन का कारण
पहाड़ों में आने वाली प्राकृतिक आपदाएं भी पलायन का बड़ा कारण
