उत्तराखंड डेली न्यूज: ब्योरो
हरिद्वार वन प्रभाग के डीएफओ अनिरुद्ध स्वप्निल ने गुरुवार को कहा, “अब ये मगरमच्छ बड़े हो गए हैं और खाने की तलाश में लोगों के इलाकों में घुस आए हैं. हमें पता नहीं चला कि ये मीठे पानी के मगरमच्छ गंगा से आए या बंगंगा से. क्योंकि दोनों नदियों में इनके लिए काफी खाना है.हरिद्वारः इस मानसून में पहली बार अक्टूबर तक हरिद्वार और लक्सर में घरों, खेतों और कॉलोनियों से करीब 40 मगरमच्छों का रेस्क्यू किया गया. इससे कई गांवों के लोगों में डर का माहौल बन गया है. लोग अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. वन विभाग ने कहा कि मगरमच्छों को गंगा में छोड़ दिया गया. लेकिन ग्रामीणों को डर है कि वे वापस आ सकते हैं. अधिकारियों का मानना है कि ये मगरमच्छ गंगा से नहीं, बल्कि लक्सर और पाथरी इलाकों के स्थानीय तालाबों और जलाशयों से आए हैं. साल 2013 की बाढ़ के बाद से यहां इनकी आबादी बढ़ गई है.
