उत्तराखंड डेली न्यूज: ब्योरो
प्रेमानंद महाराज के अनुसार तांबे के पात्र में रखा जल कोई साधारण जल नहीं होता है, सेहत के अलावा इस जल से बौद्धिक शक्ति भी बढ़ती है. तांबे के सूक्ष्म तत्व शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने, पाचन क्रिया को संतुलित करने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं.हिंदू धर्म में जल को देवत्व का प्रतीक माना गया है, और जब यही जल तांबे के पात्र में रखा जाता है, तो पंचतत्व में से “जल” और “पृथ्वी” तत्व का दिव्य संगम बन जाता है. ऐसा जल न केवल शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि आत्मा को शांति भी देता है. इसलिए कई संत और साधक अपनी दिनचर्या की शुरुआत इसी जल से करते हैं. प्रेमांनद महाराज ने भी तांबे में रखे जल की उपयोगिता बताई है. जानते हैं उसके बारे में
