उत्तराखंड डेली न्यूज: ब्योरो
चमोली जिले के सरकारी स्कूल में छात्राओं से छेड़छाड़-यौन शोषण के आरोपी शिक्षक यूनुस अंसारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपी के नजीबाबाद निवासी होने की बात सामने आई है।चमोली में यौन शोषण के आरोपी अतिथि शिक्षक यूनुस अंसारी को माध्यमिक शिक्षा विभाग में 2015 में अतिथि शिक्षक की नौकरी मिली थी। यह नौकरी उसे चमोली जिले के स्थाई निवास प्रमाण पत्र के आधार पर मिली। अब यूनुस के नजीबाबाद का मूल निवासी होने की बात सामने आने पर जिलाधिकारी गौरव कुमार ने उसके चमोली गढ़वाल से जारी स्थाई निवास प्रमाण पत्र के जांच के आदेश दिए हैं।शिक्षा विभाग में अतिथि शिक्षक बनने के लिए यूनुस अंसारी ने अपने जो दस्तावेज दिए हैं, उसमें उसने चमोली गढ़वाल जिले का 2010 का बना स्थाई निवास प्रमाण पत्र लगाया है। इसकी पुष्टि दशोली विकास खंड के खंड शिक्षा अधिकारी पंकज उप्रेती ने की है। मालूम हो कि माध्यमिक शिक्षा विभाग में अतिथि शिक्षकों की तैनाती स्थानीय स्तर पर की जाती है। यूनुस अंसारी को राजनीति विज्ञान विषय के अतिथि प्रवक्ता पद पर 2015 में दशोली विकास खंड के जिस इंटर कॉलेज में तैनाती मिली थी, उसमें वह 2018 तक तैनात रहा। इसके बाद फिर से 2022 में युनूस ने दूसरे इंटर कॉलेज में अतिथि प्रवक्ता पद पर नियुक्ति पा ली। इसी इंटर कॉलेज में वह छात्राओं के यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार हुआ है।चमोली की घटना में होता रहा इंतजार
शिक्षा विभाग की ओर से जो जानकारी सामने आई है, इसमें पिछले दिनों अभिभावक संघ की बैठक में यह शिकायत आई। शिकायत को विभागीय डाक के माध्यम से खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय भेजा गया। मामले में स्कूल स्तर पर ही कानूनी कदम उठा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
सिर्फ नौकरी का हक नहीं अस्मिता से भी खिलवाड़
यह अभी जांच का विषय है कि आरोपी नजीबाबाद का रहने वाला है या फिर चमोली गढ़वाल का। सवाल उठ रहे हैं कि एक तो यहां का स्थायी निवासी बनकर स्थानीय युवाओं की नौकरी का हक छीना गया और उससे भी बड़ा अपराध शिक्षक जैसे पेशे में रहकर छात्र-छात्राओं की अस्मिता से खिलवाड़ किया गया।नौकरी में स्थाई निवास को लेकर उठ रहे सवाल
उत्तराखंड में सरकारी नौकरी में स्थायी निवास को लेकर काफी समय से सवाल उठ रहे हैं। नैनीताल और ऊधमसिंहनगर में ऐसे बेसिक शिक्षकों की जांच भी चल रही है जिन्होंने यूपी के साथ उत्तराखंड का स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाकर नौकरी प्राप्त कर ली। इस मामले में उन्होंने डीएलएड यूपी से किया और डीएलएड के लिए यूपी के मूल निवास प्रमाण पत्र का सहारा लिया, लेकिन जब सरकारी नौकरी की बात आई तो उन्होंने उत्तराखंड का स्थायी निवास प्रमाण पत्र बना लिया और नौकरी हासिल कर ली।
