उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
उत्तरकाशी पीजी कॉलेज प्रोफेसर दंपत्ति को अटैच करने और जांच पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, अधिकारियों पर कठोर टिप्पणी भी कीनैनीताल:उत्तरकाशी पीजी कॉलेज में कार्यरत पति-पत्नी एसोसिएट प्रोफेसर को पिथौरागढ़ पीजी कॉलेज सम्बद्ध करने और उनके खिलाफ जांच की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग के अनु सचिव और जांच अधिकारी के खिलाफ कठोर टिप्पणी भी की. कोर्ट ने मौखिक तौर पर कहा कि जांच अधिकारी अपने को जज न समझें.
आज यानी 23 मई को नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में रामचंद्र उनियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रमेश सिंह और उनकी पत्नी की याचिका सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग ने डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती (14 अप्रैल) को कॉलेजों को खोलने और अंबेडकर जयंती मनाने के निर्देश दिए थे!आरोप है कि कॉलेज की प्रभारी प्रधानाचार्य मधु थपलियाल ने 14 अप्रैल के बजाय 12 अप्रैल को अंबेडकर जयंती मनाने का आदेश किया, जिसका उन्होंने विरोध किया. जिससे नाराज होकर प्रभारी प्रधानाचार्य ने दो साल पुराने झूठे यौन शोषण के आरोप में याचिकाकर्ता एसोसिएट प्रोफेसर रमेश सिंह को दीर्घ अवकाश पर भेज दिया. जबकि, यौन शोषण की न तो कहीं पर शिकायत है और न ही एफआईआर दर्ज की हुई है!वहीं, एसोसिएट प्रोफेसर रमेश सिंह ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. तब हाईकोर्ट ने कॉलेज के आदेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन बीती 16 अप्रैल को उच्च शिक्षा विभाग के अनु सचिव ने एक आदेश जारी किया. जिसमें प्रो. रमेश सिंह और इसी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत उनकी पत्नी को लक्ष्मण सिंह महर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय पिथौरागढ़ में सम्बद्ध कर दिया!इसके बाद एसोसिएट प्रोफेसर रमेश सिंह ने इस आदेश को दोबारे हाईकोर्ट में चुनौती दी. जिस पर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए अनु सचिव के आदेश पर रोक लगा दी और मामले की अगली सुनवाई की तिथि 11 जून तय की है. वहीं, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि अधिकारी खुद को जज न समझें!
