उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
उत्तरकाशी के धराली गांव में अभी भी बड़ी त्रासदी का खतरा बना हुआ है। दरअसल लैंडस्लाइड की वजह से श्रीकंठ पर्वत पर हजारों टन मलबा और बोल्डर जमा हुआ है। अगर खीरगंगा नदी के जरिए ये नीचे आता है, तो और खतरनाक स्थिति हो सकती है।खीरगंगा की बाढ़ से तबाह हुए धराली पर अभी भी बड़ी आपदा का खतरा मंडरा रहा है। श्रीकंठ पर्वत पर भूस्खलन से निकले बोल्डर और मलबा अत्यधिक मात्रा में ऊपर जमा है और इसके अभी भी नीचे आने का खतरा बना हुआ है।सर्वे के लिए भेजी गई टीम
खीरगंगा की बाढ़ के बाद सरकार ने एनडीआरएफ और एमआरटी की संयुक्त टीम को श्रीकंठ पर्वत के सर्वे के लिए भेजा था। टीम ने अपने सर्वेक्षण में हालात चिंताजनक पाए हैं। टीम की ओर से दी गई रिपोर्ट में धराली के ऊपर भारी मात्रा में मलबा जमा होने की जानकारी दी गई है। सर्वे टीम का मानना है कि श्रीकंठ पर्वत पर भारी बारिश की वजह से हुए भूस्खलन से जो बोल्डर और मलबा निकला वह पूरी तरह नीचे नहीं आ पाया। दो बहुत बड़े बोल्डर के साथ ही भारी मलबा ऊपर ही जमा है। यदि फिर भारी बारिश होती है तो ऐसी सूरत में यह बोल्डर और मलबा एक बार फिर धराली और आसपास के क्षेत्रों पर कहर बरपा सकता है। बता दें कि श्रीकंठ पर्वत की रेकी के लिए एनडीआरएफ और एमआरटी की टीम गई थी, जिसने धराली के ऊपर बन रही खतरनाक स्थिति को लेकर अपनी रिपोर्ट दी है।धराली की तबाही क्लाउड बर्स्ट से नहीं, एवलांच से हुई:
धराली की तबाही का कारण बादल फटना नहीं था, बल्कि इसकी वजह एवलांच था। ग्लोबल वाॅर्मिंग के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और एवलांच का खतरा बढ़ रहा है। एवलांच के रास्ते में बसावटें न हों, यह जिम्मेदारी सरकार की है। लेकिन, सरकार अपना काम ठीक से नहीं कर रही है। सरकार ने वैज्ञानिकों के सुझावों की तरफ ध्यान दिया होता तो धराली में जान-माल का इतना बड़ा नुकसान नहीं होता। यह बात पर्यावरणविद् और जन वैज्ञानिक डॉ. रवि चोपड़ा ने दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में आयोजित मासिक खबरपात कार्यक्रम में दूसरे संस्करण में मुख्य वक्ता के रूप में कही।झंडा बुग्याल के सामने रुके हैं दो बड़े बोल्डर ,एनडीआरएफ और एमआरटी की टीम ने पाया कि धराली से 10.7 किमी दूर झंडा बुग्याल के सामने खीर गंगा में दोनों तरफ हुए भूस्खलन के कारण दो बड़े बोल्डर रुके हुए हैं। यह बोल्डर बाढ़, भूस्खलन के कारण लूज हो गए हैं जिससे इनके दोबारा भारी बारिश होने की स्थिति में नीचे खिसकने का खतरा है।
खीरगंगा में जमा है 15 मीटर ऊंचा मलबे का ढेर
एनडीआरएफ और एमआरटी की टीम में शामिल इंस्पेक्टर पंकज, महेश खनेरा, मन मोहन, नीरज आर्य और सुरेश की ओर से सरकार को दी गई जानकारी के अनुसार खीरगंगा में झंडा बुग्याल के सामने 30 मीटर बफर जोन बना है, जिसकी ऊंचाई 15 मीटर है, जो भविष्य में फिर खीर गंगा की बाढ़ में खतरनाक साबित हो सकता है।
