उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
लोगों से अनछुए इस इलाके का नाम पहले कुछ और हुआ करता था, जिसे बोलने में अंग्रेजों का काफी दिक्कत हुई. मसूरी को आबाद करने का श्रेय एक ब्रिटिश मिलिट्री ऑफिसर को जाता है, लेकिन…मंसूरी झाड़ियों के कारण मसूरी का नाम पड़ा.
अंग्रेज उच्चारण में मंसूरी से मसूरी बना.
मंसूरी झाड़ियां औषधीय गुणों से भरपूर हैं.
देहरादून. दुनियाभर में मशहूर पहाड़ों की रानी मसूरी का नाम किसने नहीं सुना होगा. उत्तराखंड के सबसे पसंदीदा हिल स्टेशन में से एक है. यहां आप भी कभी न कभी जरूर आए होंगे या यहां आना चाहते होंगे. पर्यटकों की पहली पसंद बन चुके मसूरी को आज हर कोई जानता है. लेकिन एक वक्त था जब इसे न कोई जानता था और न ही यहां कोई घूमने आता था. मसूरी को आबाद करने का श्रेय ब्रिटिश मिलिट्री ऑफिसर कैप्टन फ्रेडरिक यंग को जाता है, लेकिन उनसे पहले गोरखा सैनिक उमेर थापा ने इसकी खोज की थी. इससे पहले ये अनजाना वन्य क्षेत्र था. गोरखा सम्राज्य के विस्तार के दौरान उमेर थापा यहां आए और इस पर डेरा डाला, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत ने इसे अपने कब्जे में ले लिया!
