उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी को भेजा गया प्रस्ताव, मंजूरी मिलते ही स्थानांतरित करने की प्रक्रिया होगी शुरूरामनगर: उत्तराखंड के जंगलों में बाघों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया जा रहा है. राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) से पांच और बाघों को स्थानांतरित किया जाएगा. इस पहल का उद्देश्य राजाजी में न केवल बाघों की संख्या बढ़ाना है, बल्कि कॉर्बेट जैसे घने बाघ बाहुल क्षेत्र में बढ़ती ह्यूमन-टाइगर कॉन्फ्लिक्ट की स्थिति को भी नियंत्रित करना है!कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने तीन बाघिन और दो बाघों को राजाजी टाइगर रिजर्व भेजने का प्रस्ताव नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी (NTCA) को भेजा है. जैसे ही यह प्रस्ताव मंजूर होगा, इन्हें स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. यह कदम राजाजी में चल रहे बाघ पुनर्स्थापन योजना के फेज-2 के अंतर्गत लिया जा रहा है!पिछली सफलता से मिली प्रेरणा:वर्ष 2022 में भी इसी योजना के तहत कॉर्बेट से पांच बाघ (तीन बाघिन और दो बाघ) राजाजी भेजे जाने की योजना बनी थी. जिस क्रम में लास्ट 5वां बाघ पिछले माह भेजा गया था. वन विभाग ने इन बाघों की लगातार निगरानी की. जिसमें पाया कि उन्हें राजाजी का नया परिवेश रास आ रहा है. बड़े क्षेत्रफल, आसान शिकार और पर्याप्त संसाधनों के कारण इन बाघों ने वहां खुद को सहज रूप से ढाला. इसके सकारात्मक परिणामों को देखते हुए अब पांच और बाघों को भेजने की तैयारी की जा रही है. वन विभाग की मानें तो कॉर्बेट की केरिंग कैपेसिटी (क्षमता) पहले ही फुल हो चुकी है!बाघों की रिलोकेशन से कम होगा संघर्ष:वन्यजीव विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता गणेश रावत इस कदम को सराहते हैं. उनके अनुसार,कॉर्बेट टाइगर रिजर्व दुनिया के सबसे अधिक बाघ घनत्व वाले क्षेत्रों में शामिल है. यहां कई बार मानव-बाघ संघर्ष की स्थितियां बनती हैं. जब किसी क्षेत्र में बाघों की संख्या उसकी प्राकृतिक सीमा से अधिक हो जाती है, तो उनके बीच क्षेत्र को लेकर संघर्ष होता है. वे इंसानी बस्तियों की ओर भी जाने लगते हैं.बाघों का वैज्ञानिक तरीके से रिलोकेट किया जाना न केवल संघर्ष को कम करेगा, बल्कि इनकी सुरक्षा और प्राकृतिक जीवन चक्र को बनाए रखने में भी मददगार साबित होगा. यह कॉर्बेट प्रशासन की दूरदर्शी और प्रकृति-संवेदनशील नीति है!
