उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
नैनीताल घूमने जा रहे हैं तो भोटिया मार्केट की ‘वांगड़ी आर्ट’ दुकान जरूर जाएं, जहां मिलती हैं रुद्राक्ष, क्वार्ट्ज जैसी 100 से ज्यादा अनोखी तिब्बती और बौद्ध मालाएं. शॉपिंग के शौकीनों के लिए ये जगह किसी खजाने से कम नहीं।
नैनीताल का भोटिया मार्केट सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र है.
‘वांगड़ी आर्ट’ दुकान 1971 से बौद्ध मालाओं के लिए प्रसिद्ध है.
यहां रूद्राक्ष, तुलसी, क्वार्ट्ज़ जैसी 100 से अधिक अनोखी मालाएं मिलती हैं.
उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नैनीताल में स्थित भोटिया मार्केट न केवल खरीदारी के लिए मशहूर है, बल्कि यह सांस्कृतिक धरोहर का भी जीवंत केंद्र है. कभी ‘माला बाजार’ के नाम से पहचाना जाने वाला यह बाजार आज भी अपनी उसी पहचान को बरकरार रखे हुए है. इस बाजार में एक खास दुकान है ‘वांगड़ी आर्ट’, जो बौद्ध संस्कृति से जुड़ी 100 से अधिक प्रकार की पारंपरिक और धार्मिक मालाओं के लिए जानी जाती है।इस दुकान की शुरुआत 1971 में भोटिया मार्केट की स्थापना के साथ हुई थी, लेकिन इसकी जड़ें इससे भी कहीं गहरी हैं. दुकान के मालिक वांगड़ी भोटिया बताते हैं कि उनके दादाजी अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गलियों में फेरी लगाकर तिब्बती और बौद्ध मालाएं बेचते थे. समय के साथ यह पुश्तैनी कारोबार एक स्थायी दुकान में बदल गया, जिसे वांगड़ी के पिता ने आगे बढ़ाया और अब वांगड़ी खुद इसे पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ संभाल रहे हैं।बौद्ध संस्कृति से जुड़ी मालाएं
‘वांगड़ी आर्ट’ में मिलने वाली मालाएं सिर्फ धार्मिक महत्व तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये एक अद्वितीय कला और परंपरा का प्रतिनिधित्व करती हैं. यहां की मालाएं रूद्राक्ष, तुलसी, लाल चंदन, तुर्कीज़, ओनिक्स, क्वार्ट्ज़ जैसे विभिन्न प्राकृतिक पत्थरों से बनाई जाती हैं. इन पत्थरों का उपयोग न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से किया जाता है, बल्कि माना जाता है कि ये मानसिक शांति, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और शारीरिक ऊर्जा को भी बढ़ावा देते हैं. वांगड़ी बताते हैं कि इन मालाओं को नेपाल, तिब्बत, थाईलैंड आदि देशों से मंगवाया जाता है।
