उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्योरो
आज भी मौसम विभाग ने उत्तराखंड में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा नदी रौद्र रूप में है और खतरे के निशान के करीब पहुंच गई है।उत्तराखंड में मानसून का विकराल रूप जारी है। मौसम विभाग ने देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, नैनीताल, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों के लिए अगले 24 घंटों का भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग ने यात्रियों और स्थानीय लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। भारी बारिश के बीच हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा नदी रौद्र रूप में नजर आ रही है। जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंचने से तीर्थनगरी में दहशत का माहौल है।IMD ने पूरे उत्तराखंड के लिए 18 अगस्त की सुबह से अगले 7 दिनों तक भारी बारिश, गरज-चमक और आंधी की संभावना जताई है। इस दौरान कुछ स्थानों पर बहुत भारी बारिश की चेतावनी भी जारी की गई है।हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों में रविवार शाम झमाझम बारिश से निचले इलाकों में जलभराव हो गया। अचानक हुए जलभराव से लोगों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वहीं, गंगा का जलस्तर लगातार बढ़कर चेतावनी स्तर के करीब पहुंच गया है। ऋषिकेश त्रिवेणी घाट में गंगा चेतावनी से बहुत कम स्तर पर बह रही है। सुबह आठ बजे तक गंगा का स्तर 339.59 मीटर पर पहुंच गया है।मलबे से बढ़ी लोगों की दिक्कतें,बारिश के बीच हरिद्वार के भूपतवाला और द्वारिका विहार में सीवर लाइन डालने के लिए की जा रही खुदाई ने हालात और बिगाड़ दिए। कीचड़ और फिसलन के कारण लोग घरों में कैद होकर रहने को मजबूर हो गए। साथ ही, मनसा देवी पहाड़ी से आए मलबे ने मोती बाजार, बड़ा बाजार, पुरानी सब्जी मंडी और बिल्केश्वर रोड पर कारोबारियों और स्थानीय लोगों की मुश्किलें बढ़ा दीं।मौसम विभाग ने यह भी साफ किया है कि हाल ही में धराली और हर्षिल घाटी में आई आपदा बादल फटने की वजह से नहीं, बल्कि श्रीकंठ पर्वत पर जमा ग्लेशियर मलबे के खिसकने से हुई थी। इस खुलासे के बाद वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि तेज बारिश की स्थिति में ऐसे हादसे और बढ़ सकते हैं।
पूर्वानुमान
19 से 21 अगस्त तक राज्य के अधिकांश हिस्सों में भारी से अतिभारी वर्षा होने की संभावना है। अगले सात दिनों तक पर्वतीय इलाकों में भूस्खलन, मलबा बहाव और नदियों के जलस्तर बढ़ने जैसे खतरे बने रहेंगे।
लोगों को चेतावनी
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि लगातार बारिश से पर्वतीय जिलों में भूस्खलन, सड़क अवरोध और नदी-नालों में उफान की स्थिति बन सकती है। ऐसे में चारधाम यात्रा और अन्य पर्वतीय मार्गों पर विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है।
