🌹🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞🌹
🌤️ *दिनांक – 05 नवम्बर 2023*
🌤️ *दिन – रविवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)*
🌤️ *शक संवत -1945*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – हेमंत ॠतु*
🌤️ *अमांत – 19 गते कार्तिक मास प्रविष्टि*
🌤️ *राष्ट्रीय तिथि – 14 आश्विन मास*
🌤️ *मास – कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आश्विन)*
🌤️ *पक्ष – कृष्ण*
🌤️ *तिथि – अष्टमी 06 नवम्बर रात्रि 03:18 तक तत्पश्चात नवमी*
🌤️ *नक्षत्र – पुष्य सुबह 10:29 तक तत्पश्चात अश्लेशा*
🌤️ *योग – शुभ दोपहर 01:37 तक तत्प2श्चात शुक्ल*
🌤️ *राहुकाल – शाम 04:02 से शाम 05:23 तक*
🌞 *सूर्योदय- 06:34*
🌤️ *सूर्यास्त- 17:29*
👉 *दिशाशूल – पश्चिम दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – कालाष्टमी,रविपुष्यामृत योग पुण्य काल (सूर्योदय से सुबह 10:29 तक*
💥 *विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*💥 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
💥 *रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
💥 *रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
💥 *स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *धनतेरस के दिन यमदीपदान* 🌷
➡ *10 नवम्बर 2023 शुक्रवार को धनतेरस है ।*
🙏🏻 *इस दिन यम-दीपदान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा सिर्फ दीपदान करके की जाती है। कुछ लोग नरक चतुर्दशी के दिन भी दीपदान करते हैं।*
👉🏻 *स्कंदपुराण में लिखा है*
🌷 *कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे ।*
*यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति ।।*
➡ *अर्थात कार्तिक मासके कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन सायंकाल में घर के बाहर यमदेव के उद्देश्य से दीप रखने से अपमृत्यु का निवारण होता है ।*
👉🏻 *पद्मपुराण में लिखा है*
🌷 *कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां तु पावके।*
*यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति।।*
➡ *कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को घर से बाहर यमराज के लिए दीप देना चाहिए इससे दुर्गम मृत्यु का नाश होता है।*
🔥 *यम-दीपदान सरल विधि*
*यमदीपदान प्रदोषकाल में करना चाहिए । इसके लिए आटे का एक बड़ा दीपक लें। गेहूं के आटे से बने दीप में तमोगुणी ऊर्जा तरंगे एवं आपतत्त्वात्मक तमोगुणी तरंगों (अपमृत्यु के लिए ये तरंगे कारणभूत होती हैं) को शांत करने की क्षमता रहती है । तदुपरान्त स्वच्छ रुई लेकर दो लम्बी बत्तियॉं बना लें । उन्हें दीपक में एक -दूसरे पर आड़ी इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुँह दिखाई दें । अब उसे तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें । प्रदोषकाल में इस प्रकार तैयार किए गए दीपक का रोली , अक्षत एवं पुष्प से पूजन करें । उसके पश्चात् घर के मुख्य दरवाजे के बाहर थोड़ी -सी खील अथवा गेहूँ से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक को रखना है । दीपक को रखने से पहले प्रज्वलित कर लें और दक्षिण दिशा (दक्षिण दिशा यम तरंगों के लिए पोषक होती है अर्थात दक्षिण दिशा से यमतरंगें अधिक मात्रा में आकृष्ट एवं प्रक्षेपित होती हैं) की ओर देखते हुए चार मुँह के दीपक को खील आदि की ढेरी के ऊपर रख दें । ‘ॐ यमदेवाय नमः ’ कहते हुए दक्षिण दिशा में नमस्कार करें ।*
🔥 *यम दीपदान का मन्त्र :*
*मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह |*
*त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ||*
➡ *इसका अर्थ है, धनत्रयोदशीपर यह दीप मैं सूर्यपुत्रको अर्थात् यमदेवताको अर्पित करता हूं । मृत्युके पाशसे वे मुझे मुक्त करें और मेरा कल्याण करें ।*
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Related Stories
November 21, 2024