उत्तराखंड डेली न्यूज़ :ब्यूरो
उत्तरकाशी टनल में अपनाई जा रही तकनीक का मास्टरमाइंड इंजिनियर एक विदेशी मूल का रहने वाला है, मशीनें विदेशी हैं, इस देश में भी तो इंग्लिश बोलने वाले बहुत से इंजीनियर हैं, उनकी मशीनें और उनका दिमाग कहां गया!
ये गंभीर चिंता का विषय है कि क्या इतने बड़े देश में एक भी इंजीनियर और एक भी मशीन ऐसी नही है जो मजदूरों को बाहर निकाल देती !
सच कहूं तो आरक्षण और सिफारिश की भेंट चढ़े अपसरान के दिमाग की बिजली गुल है !!
आज सेलक्यारा में जो स्थिति आई है उससे व्यथित होकर लिख रहे हैं , हमें चंद्रमा पर पहुंचने से कई गुना ज्यादा जरूरत पारदर्शिता,कर्मठता,ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठता के साथ जमीन पर मानव धर्म निभाने की आवश्यकता है !
राशन नकली,दवाई नकली, साग सब्जी नकली, दूध नकली,फल नकली,यहां तक कि शिक्षा नकली, Dr नकली, इंजिनियर नकली,शिक्षक नकली,राजनीतिज्ञ नकली, समाजसेवक नकली, तो फिर हमारे पास असली क्या है ?
वैसे तो देश तरक्की कर रहा है !!लेकिन कहां !! वास्तविक तरक्की का अर्थ क्या है???
मेरी बात सुनने में बहुत बुरी लगेगी, किंतु इस प्रकार की घटनाएं तरक्की की पोल खोल कर रख देती हैं………. और हम निराश हताश होकर यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि हम किस सदी में जी रहे हैं…….
शिक्षा और व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है,आरक्षण को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए!