🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक – 22 जनवरी 2024*
🌤️ *दिन – सोमवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2080*
🌤️ *शक संवत -1945*
🌤️ *अयन – उत्तरायण*
🌤️ *ऋतु – शिशिर ॠतु*
🌤️ *अमांत – 8 गते माघ मास प्रविष्टि*
🌤️ *राष्ट्रीय तिथि – 2 पौष मास*
🌤️ *मास – पौष*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – द्वादशी शाम 07:51 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
🌤️ *नक्षत्र – मृगशिरा 23 जनवरी प्रातः 04:58 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
🌤️ *योग – ब्रह्म सुबह 08:47 तक तत्पश्चात इन्द्र*
🌤️ *राहुकाल – सुबह 08:34 से सुबह 09:52 तक*
🌞 *सूर्योदय- 07:12*
🌤️ *सूर्यास्त- 17:45*
👉 *दिशाशूल – पूर्व दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण-
💥 *विशेष – द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग* 🌷
➡ *23 जनवरी 2024 मंगलवार को रात्रि 08:39 से 24 जनवरी, सुबह 06:26 तक चतुर्दशी को आर्द्रा नक्षत्र योग है |*
🙏🏻 *यदि चतुर्दशी के दिन आर्द्रा नक्षत्र का योग हो तो उस समय किया गया प्रणव (ॐ) का जप अक्षय फलदायी होता है।*
🙏🏻 *क्या करें क्या न करें पुस्तक से*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *आर्थिक परेशानी या कर्जा हो तो* 🌷
➡ *23 जनवरी 2024 मंगलवार को भौम प्रदोष योग है ।*
🙏🏻 *किसी को आर्थिक परेशानी या कर्जा हो तो भौम प्रदोष योग हो, उस दिन शाम को सूर्य अस्त के समय घर के आसपास कोई शिवजी का मंदिर हो तो जाए और ५ बत्ती वाला दीपक जलाये और थोड़ी देर जप करें :*
👉🏻 *ये मंत्र बोले :–*
🌷 *ॐ भौमाय नमः*
🌷 *ॐ मंगलाय नमः*
🌷 *ॐ भुजाय नमः*
🌷 *ॐ रुन्ह्र्ताय नमः*
🌷 *ॐ भूमिपुत्राय नमः*
🌷 *ॐ अंगारकाय नमः*
👉🏻 *और हर मंगलवार को ये मंगल की स्तुति करें:-*
🌷 *धरणी गर्भ संभूतं विद्युत् कांति समप्रभम |*
*कुमारं शक्ति हस्तं तं मंगलम प्रणमाम्यहम ||*
🙏🏻 *सुरेशनंदजी*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *कर्ज-निवारक कुंजी भौम प्रदोष व्रत* 🌷
🙏🏻 *त्रयोदशी को मंगलवार उसे भौम प्रदोष कहते हैं ….इस दिन नमक, मिर्च नहीं खाना चाहिये, इससे जल्दी फायदा होता है | मंगलदेव ऋणहर्ता देव हैं। इस दिन संध्या के समय यदि भगवान भोलेनाथ का पूजन करें तो भोलेनाथ की, गुरु की कृपा से हम जल्दी ही कर्ज से मुक्त हो सकते हैं। इस दैवी सहायता के साथ थोड़ा स्वयं भी पुरुषार्थ करें। पूजा करते समय यह मंत्र बोलें –*
🌷 *मृत्युंजयमहादेव त्राहिमां शरणागतम्।* *जन्ममृत्युजराव्याधिपीड़ितः कर्मबन्धनः।।*
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