उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्यूरो
मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कहा कि जब वह रामलला की मूर्ति बना रहे थे तो एक बंदर रोज़ाना शाम 4-5 बजे उनके दरवाज़े पर दस्तक देता था। योगीराज ने बताया, “वह (बंदर) आता था, देखता था और लौट जाता था।” इससे पहले उन्होंने कहा था, “प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति का स्वरूप बिल्कुल बदल गया… मूर्ति की आभा ही बदल गई।”