🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक – 08 मई 2024*
🌤️ *दिन – बुधवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन – उत्तरायण*
🌤️ *ऋतु – ग्रीष्म ॠतु*
🌤️ *अमांत – 26 गते वैशाख मास प्रविष्टि*
🌤️ *राष्ट्रीय तिथि – 18 चैत्र मास*
🌤️ *मास – वैशाख (गुजरात और महाराष्ट्र अनुसार चैत्र)*
🌤️ *पक्ष – कृष्ण*
🌤️ *तिथि – अमावस्या सुबह 08:51 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
🌤️ *नक्षत्र – भरणी दोपहर 01:33 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
🌤️ *योग – सौभाग्य शाम 05:41 तक तत्पश्चात शोभन*
🌤️ *राहुकाल – दोपहर 12:14 से दोपहर 01:54 तक*
🌞 *सूर्योदय- 05:29*
🌤️ *सूर्यास्त- 18:59*
👉 *दिशाशूल – उत्तर दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – वैशाख अमावस्या*
💥 *विशेष – अमावस्या व व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *अक्षय फलदायी “अक्षय तृतीया”* 🌷
➡ *10 मई 2024 शुक्रवार को अक्षय तृतीया है ।*
🙏🏻 *वैशाख शुक्ल तृतीया की महिमा मत्स्य, स्कंद, भविष्य, नारद पुराणों व महाभारत आदि ग्रंथो में है । इस दिन किये गये पुण्यकर्म अक्षय (जिसका क्षय न हो) व अनंत फलदायी होते हैं, अत: इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते है । यह सर्व सौभाग्यप्रद है ।*
🙏🏻 *यह युगादि तिथि यानी सतयुग व त्रेतायुग की प्रारम्भ तिथि है । श्रीविष्णु का नर-नारायण, हयग्रीव और परशुरामजी के रूप में अवतरण व महाभारत युद्ध का अंत इसी तिथि को हुआ था ।*
👉🏻 *इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ या सम्पन्न किया जा सकता है । जैसे – विवाह, गृह – प्रवेश या वस्त्र -आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषिकार्य का प्रारम्भ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है ।*
🌷 *प्रात:स्नान, पूजन, हवन का महत्त्व* 🌷
🙏🏻 *इस दिन गंगा-स्नान करने से सारे तीर्थ करने का फल मिलता है । गंगाजी का सुमिरन एवं जल में आवाहन करके ब्राम्हमुहूर्त में पुण्यस्नान तो सभी कर सकते है । स्नान के पश्चात् प्रार्थना करें :*
🌷 *माधवे मेषगे भानौं मुरारे मधुसुदन ।*
*प्रात: स्नानेन में नाथ फलद: पापहा भव ॥*
🙏🏻 *’हे मुरारे ! हे मधुसुदन ! वैशाख मास में मेष के सूर्य में हे नाथ ! इस प्रात: स्नान से मुझे फल देनेवाले हो जाओ और पापों का नाश करों ।’*
👉🏻 *सप्तधान्य उबटन व गोझरण मिश्रित जल से स्नान पुण्यदायी है । पुष्प, धूप-दीप, चंदनम अक्षत (साबुत चावल) आदि से लक्ष्मी-नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है ।*
🌷 *जप, उपवास व दान का महत्त्व* 🌷
🙏🏻 *इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है । एक बार हल्का भोजन करके भी उपवास कर सकते है । ‘भविष्य पुराण’ में आता है कि इस दिन दिया गया दान अक्षय हो जाता है । इस दिन पानी के घड़े, पंखे, (खांड के लड्डू), पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूँ, चावल, गौ, वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है । परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए ।*
🌷 *पितृ-तर्पण का महत्त्व व विधि* 🌷
🙏🏻 *इस दिन पितृ-तर्पण करना अक्षय फलदायी है । पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति-समृद्धि व दिव्य संताने आती है ।*
💥 *विधि : इस दिन तिल एवं अक्षत लेकर र्विष्णु एवं ब्रम्हाजी को तत्त्वरूप से पधारने की प्रार्थना करें । फिर पूर्वजों का मानसिक आवाहन कर उनके चरणों में तिल, अक्षत व जल अर्पित करने की भावना करते हुए धीरे से सामग्री किसी पात्र में छोड़ दें तथा भगवान दत्तात्रेय, ब्रम्हाजी व विष्णुजी से पूर्वजों की सदगति हेतु प्रार्थना करें ।*
🌷 *आशीर्वाद पाने का दिन* 🌷
🙏🏻 *इस दिन माता-पिता, गुरुजनों की सेवा कर उनकी विशेष प्रसन्नता, संतुष्टि व आशीर्वाद प्राप्त करें । इसका फल भी अक्षय होता है ।*
🌷 *अक्षय तृतीया का तात्त्विक संदेश* 🌷
🙏🏻 *’अक्षय’ यानी जिसका कभी नाश न हो । शरीर एवं संसार की समस्त वस्तुएँ नाशवान है, अविनाशी तो केवल परमात्मा ही है । यह दिन हमें आत्म विवेचन की प्रेरणा देता है । अक्षय आत्मतत्त्व पर दृष्टी रखने का दृष्टिकोण देता है । महापुरुषों व धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा और परमात्म प्राप्ति का हमारा संकल्प अटूट व अक्षय हो – यही अक्षय तृतीया का संदेश मान सकते हो ।*
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