*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 15 जुलाई 2024*
*⛅दिन – सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायण*
*⛅ऋतु – वर्षा*
*🌤️अमांत – 31 गते आषाढ़ मास प्रविष्टि*
*🌤️राष्ट्रीय तिथि – 25 आषाढ़ मास*
*⛅मास – आषाढ़*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – नवमी शाम 07:19 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र – स्वाति रात्रि 12:30 जुलाई 16 तक तत्पश्चात विशाखा*
*⛅योग – सिद्ध प्रातः 07:00 तक तत्पश्चात साध्य*
*⛅राहु काल – प्रातः 07:14 से प्रातः 08:57 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:26*
*⛅सूर्यास्त – 07:20*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:39 से 05:21 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:19 से दोपहर 01:12*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:25 जुलाई 16 से रात्रि 01:07 जुलाई 16 तक*
*⛅विशेष – नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹क्रोध पर नियंत्रण कैसे पायें ?🔹*
*🔸क्रोध भस्मासुर है, करा-कराया सब खाक कर देता है । जिन्हें क्रोध पर नियंत्रण पाना हो वे नीचे दिये गये सरल एवं कारगर उपायों में से एक या अधिक उपायों का लाभ अवश्य लें ।*
*🔸(१) एक कटोरी में जल लेकर उसमें देखते हुए ‘ॐ शांति… शांति… शांति… ॐ…’ इस प्रकार २१ बार जप करें और वह जल पी लें तो क्रोधी स्वभाव में बदलाहट आयेगी ।*
*🔸(२) जब क्रोध आये तो उस समय अपना विकृत चेहरा आईने में देखने से भी लज्जावश क्रोध भाग जायेगा ।*
*🔸(३) सुबह नींद में से उठते ही बिस्तर पर बैठ के ललाट पर तिलक करने की जगह पर अपने सद्गुरु या इष्ट का ध्यान करें । बाद में संकल्प करते हुए एवं यह मंत्र बोलते हुए क्रोध की मानसिक रूप से अग्नि में आहुति डालें: ॐ क्रोधं जुहोमि स्वाहा ।*
*🔸(४) एक नग आँवले का मुरब्बा रोज सुबह खायें व शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर दूध पी लें, इससे विशेषकर पित्तप्रकोपजनित क्रोध पर नियंत्रण पाने में सहायता मिलेगी । (शुक्रवार व रविवार को आँवले का सेवन न करें ।)*
*🔹कब्जनाशक प्रयोग🔹*
*🔸 कब्ज अनेक रोगों का गढ है । कब्ज दूर करने के लिए निम्न उपाय करें ।*
*🔸 रात को हरड़ पानी में भिगोकर रखें । सुबह थोड़ी सी हरड़ उसी पानी में रगड़ें और थोड़ा सा नमक मिलाकर पियें ।*
*🔸सूर्योदय से पहले खाली पेट रात का रखा हुआ पानी आवश्यकतानुसार पियें (गुनगुना हो तो उत्तम) ।*
*🔸मेथी के पत्तों की सब्जी खायें ।*
*🔸धनिया, पुदीना, काला नमक व काली मिर्च की चटनी भोजन के साथ लें ।*
*🔸श्वास बाहर निकालकर गुदाद्वार का संकोचन विस्तरण (अश्विनी मुद्रा) करने को थलबस्ती कहते हैं। यह प्रयोग रोज तीन-चार बार करने से भी कब्ज दूर होता है और वीर्यहानि, स्वप्नदोष एवं प्रदर रोग से रक्षा होती है । व्यक्तित्व विकसित होता है ।*
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