*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 08 अक्टूबर 2024*
*⛅दिन – मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*🌥️ अमांत – 19 गते आश्विन मास प्रविष्टि*
*🌥️ राष्ट्रीय तिथि – 13आश्विन मास*
*⛅मास – आश्विन*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – पंचमी प्रातः 11:17 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र – ज्येष्ठा प्रातः 04:08 अक्टूबर 09 तक तत्पश्चात मूल*
*⛅योग – आयुष्मान प्रातः 06:51 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
*⛅राहु काल – दोपहर 02:57 से शाम 04:23 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:15*
*⛅सूर्यास्त – 05:55*
*⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:56 से 05:45 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:03 से दोपहर 12:50 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:03 अक्टूबर 09 से रात्रि 12:52 अक्टूबर 09 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – बिल्व निमन्त्रण, स्कन्द षष्ठी, पंचम नवरात्री*
*⛅विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है व षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹नवरात्रि विशेष🔹*
*🔸आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानी शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है । इस दिन मां दुर्गा के छठें स्वरूप देवी कात्यायनी की पूजा करने का विधान है । कहा जाता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है ।*
*🔸इस दिन मां कात्यायनी को पूजन में शहद का को भोग लगाना चाहिए । इससे मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं ।*
*🔹लक्ष्मीप्राप्ति व घर में सुख-शांति हेतु🔹*
*🔸 ‘परमात्मा मेरे आत्मा हैं । ॐ आनंद, ॐ शांति, ॐ माधुर्य… ।’ घर में अन्न की कमी हो तो ऐसा चिंतन करके जौ का ध्यान करें, अन्न की कमी सदा के लिए मिट जायेगी ।*
*🔸घर में टूटी-फूटी अथवा अग्नि से जली हुई प्रतिमा की पूजा नहीं करनी चाहिए । ऐसी मूर्ति की पूजा करने से गृहस्वामी के मन में उद्वेग या अनिष्ट होता है । (वराह पुराण :१८६.३७)*
*🔹जीवन में उपयोगी नियम 🔹*
*🔸1. जहाँ रहते हो उस स्थान को तथा आस-पास की जगह को साफ रखो ।*
*🔸2. हाथ पैर के नाखून बढ़ने पर काटते रहो । नख बढ़े हुए एवं मैल भरे हुए मत रखो ।*
*🔸3. अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को बुधवार व शुक्रवार के अतिरिक्त अन्य दिनों में बाल नहीं कटवाना चाहिए ।*
*🔸4. सोमवार, बुधवार और शनिवार शरीर में तेल लगाने हेतु उत्तम दिन हैं । यदि तुम्हें ग्रहों के अनिष्टकर प्रभाव से बचना है तो इन्हीं दिनों में तेल लगाना चाहिए ।*
*🔸5. शरीर में तेल लगाते समय पहले नाभि एवं हाथ-पैर की उँगलियों के नखों में भली प्रकार तेल लगा देना चाहिए ।*
*🔸6. पैरों को यथासंभव खुला रखो । प्रातःकाल कुछ समय तक हरी घास पर नंगे पैर टहलो । गर्मियों में मोजे आदि से पैरों को मत ढँको ।*
*🔸7. ऊँची एड़ी के या तंग पंजों के जूते स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं ।*
*🔸8. पाउडर, स्नो आदि त्वचा के स्वाभाविक सौंदर्य को नष्ट करके उसे रूखा एवं कुरूप बना देते हैं ।*
*🔸9. बहुत कसे हुए एवं नायलोन आदि कृत्रिम तंतुओं से बने हुए कपड़े एवं चटकीले भड़कीले गहरे रंग से कपड़े तन-मन के स्वास्थ्य के हानिकारक होते हैं । तंग कपड़ों से रोमकूपों को शुद्ध हवा नहीं मिल पाती तथा रक्त-संचरण में भी बाधा पड़ती है। बैल्ट से कमर को ज़्यादा कसने से पेट में गैस बनने लगती है । ढीले-ढाले सूती वस्त्र स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम होते हैं ।*
*🔸10. कहीं से चलकर आने पर तुरंत जल मत पियो, हाथ पैर मत धोओ और न ही स्नान करो । इससे बड़ी हानि होती है । पसीना सूख जाने दो । कम-से-कम 15 मिनट विश्राम कर लो । फिर हाथ-पैर धोकर, कुल्ला करके पानी पीयो । तेज गर्मी में थोड़ा गुड़ या मिश्री खाकर पानी पीयो ताकि लू न लग सके ।