
*~ हिन्दू पंचांग ~*

*दिनांक -12 अप्रैल 2024*
*दिन – शुक्रवार*
*विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार – 2080)*
*शक संवत -1946*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – वसंत ॠतु*
*अमांत – 31 गते चैत्र मास प्रविष्टि*
*राष्ट्रीय तिथि – 23 फाल्गुन मास*
*मास – चैत्र*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – चतुर्थी दोपहर 01:11 तक तत्पश्चात पंचमी*
*नक्षत्र – रोहिणी रात्रि 12:51 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*योग – सौभाग्य 13 अप्रैल रात्रि 02:13 तक तत्पश्चात शोभन*
*राहुकाल – सुबह 10:43 से दोपहर 12:18 तक*
*सूर्योदय- 05:54*
*सूर्यास्त- 18:43*
*दिशाशूल – पश्चिम दिशा में*
*व्रत पर्व विवरण – विनायक चतुर्थी*
*विशेष – *चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*दुर्गा अष्टमी पर इतना करने से बढेगी समृद्धि*
*आर्थिक परेशानी हो तो*
*स्कंद पुराण में लिखा है पौष मास की शुक्ल पक्ष की दसमी तिथि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी(13 अप्रैल 2024 शनिवार) और सावन महीने की पूनम ये दिन लक्ष्मी पूजा के खास बताये गये हैं | इन दिनों में अगर कोई आर्थिक कष्ट से जूझ रहा है | पैसों की बहुत तंगी है घर में तो 12 मंत्र लक्ष्मी माता के बोलकर, शांत बैठकर मानसिक पूजा करे और उनको नमन करें तो उसको भगवती लक्ष्मी प्राप्त होती है, लाभ होता है, घर में लक्ष्मी स्थायी हो जाती हैं | उसके घर से आर्थिक समस्याए धीरे धीरे किनारा करती है | बारह मंत्र इसप्रकार हैं –*
*ॐ ऐश्वर्यै नम:*
*ॐ कमलायै नम:*
*ॐ लक्ष्मयै नम:*
*ॐ चलायै नम:*
*ॐ भुत्यै नम:*
*ॐ हरिप्रियायै नम:*
*ॐ पद्मायै नम:*
*ॐ पद्माल्यायै नम:*
*ॐ संपत्यै नम:*
*ॐ ऊच्चयै नम:*
*ॐ श्रीयै नम:*
*ॐ पद्मधारिन्यै नम:*
*सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्ति प्रदायिनि | मंत्रपूर्ते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते ||*
*द्वादश एतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्यय पठेत | स्थिरा लक्ष्मीर्भवेतस्य पुत्रदाराबिभिस: ||*
*उसके घर में लक्ष्मी स्थिर हो जाती है | जो इन बारह नामों को इन दिनों में पठन करें |*
*विशेष ~ 13 अप्रैल 2024 शनिवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है ।*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*मेष संक्रांति*
*13 अप्रैल 2024 शनिवार को मेष संक्रांति (पुण्यकाल : दोपहर 12:27 से सूर्यास्त तक)*
*इसमें किया गया जप, ध्यान, दान व पुण्यकर्म अक्षय होता है ।*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*चैत्र नवरात्रि*
*नवरात्रि के चौथे दिन यानी चतुर्थी तिथि को माता दुर्गा को मालपुआ का भोग लगाएं ।इससे समस्याओं का अंत होता है ।*
शेष कल…………
*~ वैदिक पंचांग ~*
*चैत्र नवरात्रि*
*रोग, शोक दूर करती हैं मां कूष्मांडा*
*नवरात्रि की चतुर्थी तिथि की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। मां दुर्गा के इस चतुर्थ रूप कूष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। इसी वजह से दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कूष्मांडा पड़ा।*
*मां कूष्मांडा के पूजन से हमारे शरीर का अनाहत चक्रजागृत होता है। इनकी उपासना से हमारे समस्त रोग व शोक दूर हो जाते हैं। साथ ही, भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य के साथ-साथ सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी प्राप्त होते हैं।*
शेष कल………..
*~ वैदिक पंचांग ~*