
*~ वैदिक पंचांग ~*

*दिनांक -13 अप्रैल 2024*
*दिन – शनिवार*
*विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार – 2080)*
*शक संवत -1946*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – वसंत ॠतु*
*अमांत, 1 गते बैशाख मास प्रविष्टि*
*राष्ट्रीय तिथि – 24 फाल्गुन मास*
*मास – चैत्र*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – पंचमी दोपहर 12:04 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र – मृगशिरा रात्रि 12:49 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*योग – शोभन रात्रि 12:34 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*राहुकाल – सुबह 09:07 से सुबह 10:42 तक*
*सूर्योदय- 05:53*
*सूर्यास्त- 18:43*
*दिशाशूल – पूर्व दिशा में*
*व्रत पर्व विवरण – श्री पंचमी,स्कंद षष्ठी,वैशाखी,मेष संक्रांति (पुण्यकाल: दोपहर 12:27 से सूर्यास्त तक)*
*विशेष – *पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*घातक रोगों से मुक्ति पाने का उपाय*
*14 अप्रैल 2024 रविवार को (दोपहर 11:43 से 15 अप्रैल सूर्योदय तक) रविवारी सप्तमी है।*
*रविवार सप्तमी के दिन बिना नमक का भोजन करें। बड़ दादा के १०८ फेरे लें । सूर्य भगवान का पूजन करें, अर्घ्य दें व भोग दिखाएँ, दान करें । तिल के तेल का दिया सूर्य भगवान को दिखाएँ ये मंत्र बोलें :-*
*”जपा कुसुम संकाशं काश्य पेयम महा द्युतिम । तमो अरिम सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मी दिवाकर ।।”*
*नोट : घर में कोई बीमार रहता हो या घातक बीमारी हो तो परिवार का सदस्य ये विधि करें तो बीमारी दूर होगी ।*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि*
*सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।*
*इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है।*
*(शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याया (10)*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*नवरात्रि की पंचमी तिथि*
*13 अप्रैल 2024 शनिवार को चैत्र – शुक्ल पक्ष की पंचमी की बड़ी महिमा है | इसको श्री पंचमी भी कहते है | संपत्ति वर्धक है |*
*इन दिनों में लक्ष्मी पूजा की भी महिमा है | ह्रदय में भक्तिरूपी श्री आये इसलिए ये उपासाना करें | इस पंचमी के दिन हमारी श्री बढ़े, हमारी गुरु के प्रति भक्तिरूपी श्री बढ़े | उसके लिए भी व्रत, उपासाना आदि करना चाहिए | पंचमं स्कंध मातेति | स्कंध माता कार्तिक स्वामी की माँ पार्वतीजी …. उस दिन मंत्र बोलो – ॐ श्री लक्ष्मीये नम: |*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*चैत्र नवरात्रि*
*नवरात्र की पंचमी तिथि यानी पांचवे दिन माता दुर्गा को केले का भोग लगाएं ।इससे परिवार में सुख-शांति रहती है ।*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*चैत्र नवरात्रि*
*स्कंदमाता की पूजा से मिलती है शांति व सुख*
*नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करने वाली हैं। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जानते हैं। स्कंदमाता हमें सिखाती हैं कि जीवन स्वयं ही अच्छे-बुरे के बीच एक देवासुर संग्राम है व हम स्वयं अपने सेनापति हैं। हमें सैन्य संचालन की शक्ति मिलती रहे। इसलिए स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होना चाहिए, जिससे कि ध्यान वृत्ति एकाग्र हो सके। यह शक्ति परम शांति व सुख का अनुभव कराती हैं।*