
*~ हिन्दू पंचांग ~
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*दिनांक – 15 अक्टूबर 2024*
*दिन – मंगलवार*
*विक्रम संवत् – 2081*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – शरद*
* अमांत – 31 गते आश्विन मास प्रविष्टि*
* राष्ट्रीय तिथि – 24 आश्विन मास*
*मास – आश्विन*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – त्रयोदशी रात्रि 12:19 अक्टूबर 16 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*नक्षत्र – पूर्व भाद्रपद रात्रि 10:08 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
*योग – वृद्धि दोपहर 02:14 तक, तत्पश्चात ध्रुव*
*राहु काल – दोपहर 02:52 से शाम 04:17 तक*
*सूर्योदय – 06:19*
*सूर्यास्त – 05:46*
*दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:58 से 05:47 तक*
*अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:02 से दोपहर 12:48 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 अक्टूबर 16 से रात्रि 12:50 अक्टूबर 16 तक*
* व्रत पर्व विवरण – प्रदोष व्रत, सर्वार्थ सिद्धि योग (रात्रि 10:08 से प्रातः 06:47 अक्टूबर 16 तक)*
*विशेष – द्वादशी को पूतिका (पोई) व त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*घर में समृद्धि के लिए
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*घर में समृद्धि लाना चाहते हो तो जिस घर के पुरुष काम पर जाते हों तो घर की महिलाएँ, जब पुरुष काम पर जायें तब गीता के 11 वें अध्याय का 40 वां श्लोक 108 बार पढ़ें और भगवान से प्रार्थना करें कि मैंने ये जो पाठ किया है इसका पुण्य हमारे घर के अमुक-अमुक पुरुष को ( उनका नाम लेकर) दीजिये उन्हें कार्य खूब सफलता मिल ऐसी प्रार्थना करके अर्घ्य दें इससे घर के काम करने वाले व्यक्ति को बहुत सफलता मिलेगी यह कई लोगों का अनुभव है इस श्लोक की इतनी महिमा है और इतना सरल भी है ।*
*रसोई घर ही औषधालय
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*संयम तथा उचित खान-पान के अभाव में बीमारियाँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । थोड़ी भी तकलीफ होने पर हम महँगी, नुकसानदायक एलोपैथिक दवाईयों की शरण लेते हैं जिससे कुछ देर तक तो स्वास्थ्य ठीक रहता है परन्तु इनके लगातार उपयोग से शरीर खोखला होने लगता है और धीरे-धीरे बीमारियों का घर बन जाता है, अतः इनसे बचें । हमारे ऋषि-मुनियों नें मसाले एवं अन्य खाद्य पदार्थों को ही औषधियों के रुप में प्रयोग करने की सुन्दर रीति समाज को प्रदान की है जिसका अनुसरण कर हम कम खर्च में ही दीर्घकाल तक स्वस्थ रह सकते हैं ।*
*सरल औषधि प्रयोग
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*1. खासी में तुरन्त लाभ हेतु – (क) कच्ची हल्दी का रस पियें । (बच्चों के लिए पाव से आधा चम्मच, बड़ों के लिए 1 चम्मच) ।*
*(ख) अदरक का छोटा सा टुकड़ा चूसें ।*
*(ग) 2-3 काली मिर्च चूसें । अथवा काली मिर्च चबाकर गुनगुना पानी पियें ।*
*(घ) अत्यधिक खाँसी में 1-1 चम्मच अदरक व पान के पत्तों के रस में थोड़ा – सा पुराना गुड़ या शहद मिलाकर पीना उत्तम है ।*
*2. मोटापा व पुराना कब्ज – एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू का रस एवं दो चम्मच शहद डालकर पीने से शरीर की अनावश्यक चर्बी कम होती है व पुराना कब्ज मिटता है ।*
*3. प्रदर रोग – आँवला चूर्ण को मिश्री के साथ लेने से स्त्रियों के अधिक मासिक स्राव व श्वेतप्रदर रोगों में लाभ होता है । धोये हुए चावल का पानी मिलाकर पीनें से पेचिश, अतिसार व प्रदर रोगों में लाभ होता है ।*
*4. मासिक सम्बंधी समस्याएँ*
*(क) सुबह खाली पेट 2-4 गिलास पानी पीने से अनियमित मासिक स्राव ठीक होता है ।*
*(ख) मासिक धर्म में पीड़ा होती हो तो 15 से 30 दिनों तक भोजन के बाद या बीच में गुनगुने पानी के साथ एक चुटकी अजवायन फांक लें ।*
*(ग) सुबह-शाम 1-1 चुटकी हींग गुनगुनें पानी में घोल के लेने से बिना कष्ट के खुलकर मासिक आता है । अधिक रक्तस्राव में अंतिम दो प्रयोग न करें ।*
*बच्चे का मन पढ़ाई में न लगे तो… ।
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*यदि आपके बच्चे-बच्चियाँ पढ़ाई में ध्यान न देते हों, आलसी अथवा चंचल हों और आप चाहते हें कि वे पढ़ाई में ध्यान दें तो क्या करें ? डाँटने, फटकारने, मारने से काम नहीं चलेगा । बेटे-बेटी को ज्यादा डाँट-फटकारें तो वे सोचते हैं कि ‘ये तो मुझे डाँटते ही रहते हैं !’*
*इसके लिए एक छोटा सा प्रयोग है । अशोक वृक्ष के तीन-तीन पत्तों से बंदनवार (तोरण) बनाकर बच्चे के कमरे के दरवाजे की चौखट पर गुरुवार के दिन बाँध दें और संकल्प करें कि मेरे बच्चे का मन पढ़ाई में लगे । अगले गुरुवार को पहले वाले उतारकर ताजे पत्तों की नयी बंदनवार लगा दें । फिर तीसरे गुरुवार भी ऐसा करें । इस प्रकार तीन गुरुवार के बाद एक गुरुवार छोड़ दें । तीन-तीन करके कुल नौ गुरुवार तक यह प्रयोग करें । इससे लाभ होगा।*