*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 20 अक्टूबर 2024*
*⛅दिन – रविवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*⛅ अमांत – 4 गते कार्तिक मास प्रविष्टि*
*⛅ राष्ट्रीय तिथि – 28 आश्विन मास*
*⛅मास – कार्तिक*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – तृतीया प्रातः 06:46 अक्टूबर 20 तक तत्पश्चात चतुर्थी प्रातः 04:16 अक्टूबर 21 तक तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र – कृत्तिका प्रातः 08:31 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग – व्यतीपात दोपहर 02:12 तक, तत्पश्चात वरीयान्*
*⛅राहु काल – शाम 04:13 से शाम 05:37 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:23*
*⛅सूर्यास्त – 05:41*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:59 से 05:49 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:01 से दोपहर 12:47 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 अक्टूबर 20 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 21 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – करवा चौथ, अट्ल तद्दी, रोहिणी व्रत, वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी*
*⛅विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 करवा चौथ – 20 अक्टूबर 2024 🌹*
*🌹 कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है । करवा चौथ के दिन सुहागिन महिला पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं । अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ्य अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं ।*
*🔹स्वास्थ्य-कल्याण की बातें🔹*
*🔹त्रिदोष – शमन के लिए🔹*
*वमनं कफनाशाय वातनाशाय मर्दनम् । शयनं पित्तनाशाय ज्वरनाशाय लंघनम् ॥*
*’कफनाश करने के लिए वमन (उलटी), वातनाश के लिए मर्दन (मालिश), पित्तनाश हेतु शयन तथा ज्वरनाश के लिए लंघन (उपवास) करना चाहिए ।’*
*🔹तो वैद्य की आवश्यकता ही क्यों ?🔹*
*दिनान्ते च पिबेद् दुग्धं निशान्ते च जलं पिबेत् । भोजनान्ते पिबेत् तक्रं वैद्यस्य किं प्रयोजनम् ॥*
*’दिन के अंतिम भाग में अर्थात् रात्रि को शयन से १ घंटा पूर्व दूध, प्रातःकाल उठकर जल (लगभग २५० मि.ली. गुनगुना) और भोजन के बाद तक्र (मट्ठा) पियें तो जीवन में वैद्य की आवश्यकता ही क्यों पड़े ?’*
*🔹बिना औषधि के रोग दूर🔹*
*विनापि भेषजं व्याधिः पथ्यादेव निवर्तते ।*
*न तु पथ्यविहीनोऽयं भेषजानां शतैरपि ॥*
*पथ्य-सेवन से व्याधि बिना औषधि के भी नष्ट हो जाती है परंतु जो पथ्य सेवन नहीं करता, यथायोग्य आहार-विहार नहीं रखता, वह चाहे सैकड़ों औषधियाँ ले ले फिर भी उसका रोग दूर नहीं होता ।*
*🔹दीर्घायु के लिए…🔹*
*वामशायी द्विभुञ्जानो षण्मूत्री द्विपुरीषकः । स्वल्पमैथुनकारी च शतं वर्षाणि जीवति ॥*
*’बायीं करवट सोनेवाला, दिन में दो बार भोजन करनेवाला, कम-से-कम छः बार लघुशंका व दो बार शौच जानेवाला, (वंशवृद्धि के उद्देश्य से) स्वल्प-मैथुनकारी व्यक्ति सौ वर्ष तक जीता है ।’*
*🔹हरिनाम संकीर्तन से रोग-शमन सर्वरोगोपशमनं🔹*
*सर्वोपद्रवनाशनम् । शान्तिदं सर्वारिष्टानां हरेर्नामानुकीर्तनम् ॥*
*’हरिनाम संकीर्तन सभी रोगों का उपशमन करनेवाला, सभी उपद्रवों का नाश करनेवाला और समस्त अरिष्टों की शांति करनेवाला है ।’*
*🙏🚩🌹🕉️💐🌹🕉️🌹🌹🙏