🌞 *~ हिंदू पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक – 12 दिसम्बर 2024*
🌤️ *दिन – गुरूवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2081*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – हेमंत ॠतु*
🌥️ *अमांत – 27 गते मार्गशीर्ष मास प्रविष्टि*
🌥️ *राष्ट्रीय तिथि – 21 मार्गशीर्ष मास*
🌤️ *मास – मार्गशीर्ष*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – द्वादशी रात्रि 10:26 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
🌤️ *नक्षत्र – अश्विनी सुबह 09:52 तक तत्पश्चात भरणी*
🌤️ *योग – परिघ शाम 03:23 तक तत्पश्चात शिव*
🌤️ *राहुकाल – दोपहर 01:26 से शाम 02:42 तक*
🌤️ *सूर्योदय 07:04*
🌤️ *सूर्यास्त – 5:18*
👉 *दिशाशूल – दक्षिण दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – अखंड द्वादशी*
💥 *विशेष- द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी* 🌷
👉🏻 *12 दिसम्बर 2024 गुरुवार को मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी है ।*
➡ *वराहपुराण के अनुसार जो पुरुष नियमपूर्वक रहकर कार्तिक, मार्गशीर्ष एवं बैशाख महीनों की द्वादशी तिथियों के दिन खिले हुए पुष्पों की वनमाला तथा चन्दन आदि को मुझ पर चढ़ाता है, उसने मानो बारह वर्षों तक मेरी पूजा कर ली।*
➡ *वराहपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष मास में चन्दन एवं कमल के पुष्प को एक साथ मिलाकर जो भगवान विष्णु को अर्पण करता है, उसे महान फल प्राप्त होता है।*
➡ *अग्निपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष के शुक्लपक्ष की द्वादशी को श्रीकृष्ण का पूजन करके जो मनुष्य लवण का दान करता हैं, वह सम्पूर्ण रसों के दान का फल प्राप्त करता हैं |*
➡ *महाभारत अनुशासनपर्व*
*द्वादश्यां मार्गशीर्षे तु अहोरात्रेण केशवम्।*
*अर्च्याश्वमेधं प्राप्नोति दुष्कृतं चास्य नश्यति।।*
*जो मार्गशीर्ष की द्वादशी को दिन-रात उपवास करके ‘केशव’ नाम से मेरी पूजा करता है, उसे अश्वमेघ-यज्ञ का फल मिलता है।*
➡ *स्कन्दपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष मास में श्रीभगवान विष्णु को, उनके अन्य स्वरुप को स्नान कराने का विशेष महत्व है विशेषतः द्वादशी को । इस दिन श्रीकृष्ण को शंख के द्वारा दूध से स्नान कराएं।*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *प्रदोष व्रत* 🌷
🙏🏻 *हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महिने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 13 दिसम्बर, शुक्रवार को प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है, जानिए…*
👉🏻 *ऐसे करें व्रत व पूजा*
🙏🏻 *- प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।*
🙏🏻 *- इसके बाद बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।*
🙏🏻 *- पूरे दिन निराहार (संभव न हो तो एक समय फलाहार) कर सकते हैं) रहें और शाम को दुबारा इसी तरह से शिव परिवार की पूजा करें।*
🙏🏻 *- भगवान शिवजी को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं।*
🙏🏻 *- भगवान शिवजी की आरती करें। भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और उसीसे अपना व्रत भी तोड़ें।उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।*
👉🏻 *ये उपाय करें*
*सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्ध्य देें। पानी में आकड़े के फूल जरूर मिलाएं। आंकड़े के फूल भगवान शिवजी को विशेष प्रिय हैं । ये उपाय करने से सूर्यदेव सहित भगवान शिवजी की कृपा भी बनी रहती है और भाग्योदय भी हो सकता है।*