
*~ हिंदू पंचांग ~*

*दिनांक – 13 दिसम्बर 2024*
*दिन – शुक्रवार*
*विक्रम संवत – 2081*
*शक संवत -1946*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – हेमंत ॠतु*
*अमांत – 28 गते मार्गशीर्ष मास प्रविष्टि*
*राष्ट्रीय तिथि – 22 मार्गशीर्ष मास*
*मास – मार्गशीर्ष*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – त्रयोदशी शाम 07:40 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*नक्षत्र – भरणी सुबह 07:50 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
*योग – शिव सुबह 11:54 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*राहुकाल – सुबह 10:55 से दोपहर 12:11 तक*
*सूर्योदय 07:04*
*सूर्यास्त – 5:17*
*दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे*
*व्रत पर्व विवरण – प्रदोष व्रत*
*विशेष- त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*~ वैदिक पंचांग ~*
*पिशाच मोचिनी तिथि (श्राद्ध)*
*पिशाचमोचन श्राद्ध तिथिः मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्दशी जो इस वर्ष 14 दिसम्बर 2024 शनिवार को मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्दशी है।*
*इस दिन प्रेत योनि को प्राप्त जीवों (पूर्वजों) के निमित्त तर्पण आदि करने से उनकी सदगति होती है |जिनके घर-परिवार, आस-पडोस या परिचय में किसी की अकाल मृत्यु हुई हो या कोई भूत-प्रेत अथवा पितृबाधा से पीड़ित हो, वे पिशाच मोचिनी तिथि को उनकी सदगति, आत्मशांति और मुक्ति के लिए संकल्प करके श्राद्ध – तर्पण अवश्य करें | भूत-प्रेतादि से ग्रस्त व्यक्ति इसे अवश्य करें |*
*विधिः प्रातः स्नान के बाद दक्षिणमुख होकर बैठें। तिलक, आचमन आदि के बाद पीतल या ताँबे के थाल अथवा तपेली आदि मे पानी लें। उसमें दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, कुम -कुम, अक्षत, तिल, कुश मिलाकर रखें। हाथ में शुद्ध जल लेकर संकल्प करें कि ʹअमुक व्यक्ति (नाम) के प्रेतत्व निवारण हेतु हम आज पिशाचमोचन श्राद्ध तिथि को यह पिशाचमोचन श्राद्ध कर रहे हैं।ʹ हाथ का जल जमीन पर छोड़ दें। फिर थोड़े काले तिल अपने चारों ओर जमीन पर छिड़क दें कि भगवान विष्णु हमारे श्राद्ध की असुरों से रक्षा करें। अब अनामिका उँगली में कुश की अँगूठी पहनकर (ʹૐ अर्यमायै नमःʹ) मंत्र बोलते हुए पितृतीर्थ से 108 तर्पण करें अर्थात् थाल में से दोनों हाथों की अंजली भर-भर के पानी लें एवं दायें हाथ की तर्जनी उँगली व अँगूठे के बीच से गिरे, इस प्रकार उसी पात्र में डालते रहें। ( तर्पण पीतल या ताँबे के थाल अथवा तपेली में बनाकर रखे जल से करना है।)*
*108 तर्पण हो जाने के बाद दायें हाथ में शुद्ध जल लेकर संकल्प करें कि सर्व प्रेतात्माओं की सदगति के निमित्त किया गया, यह तर्पण कार्य भगवान नारायण के श्रीचरणों में समर्पित है। फिर तनिक शांत होकर भगवद्-शांति में बैठें। बाद में तर्पण के जल को पीपल में चढ़ा दें।*
~*वैदिक पंचांग* ~
*मार्गशीर्ष मास की शुक्ल मास चतुर्दशी*
*14 दिसम्बर 2024 शनिवार को मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्दशी है।*
*मस्त्यपुराण कहता है कि – मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि के दिन अगर कोई शिवजी का १७ नामों से पूजन करे या वो १७ मंत्र बोलकर उनको प्रणाम करे | जो शिव है वो गुरु है और जो गुरु है वो शिव है | अपने गुरुदेव का भी स्मरण करते करते करें , तो भी उन तक पहुँच जाता है | और ज्यादा किसी को समस्या है वो विशेष रूप से, १७ नाम मस्त्यपुराण में बताया है | उसी दिन खास महिमा है उसकी, मार्गशीर्ष मास के बारे में जानते होंगे, जो भगवत गीता पाठ करते हैं | तो भगवान ने गीता के १० वे अध्याय में कहाँ है – ‘मासा नाम मार्गशीर्षोंहम’ की जो मार्गशीर्ष मास में भगवान ने अपनी विभूति बताया और उसमे शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी |*
*१७ नाम इस प्रकार*
१) *ॐ शिवाय नम:*
२) *ॐ सर्वात्मने नम:*
३) *ॐ त्रिनेत्राय नम:*
४) *ॐ हराय नम:*
५) *ॐ इन्द्र्मुखाय नम:*
६) *ॐ श्रीकंठाय नम:*
७) *ॐ सत्योजाताय नम:*
८) *ॐ वामदेवाय नम:*
९) *ॐ अघोरहृदयाय नम:*
१०) *ॐ तत्पुरुषाय नम:*
११) *ॐ ईशानाय नम:*
१२) *ॐ अनंतधर्माय नम:*
१३) *ॐ ज्ञानभुताय नम:*
१४) *ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:*
१५) *ॐ प्रधानाय नम:*
१६) *ॐ व्योमात्मने नम:*
१७) *ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:*
*तो जिनको जीवन में कष्ट आदि हैं उनको दूर करने में मदद मिलती है | और दो नाम पार्वतीजी के बोलेंगे उसी दिन – ॐ पुष्ट्ये नम: , ॐ तुष्टये नम: माँ पार्वती को नमन करके ये दो मंत्र उस दिन बोले की मैं श्रद्धा और भक्ति से पुष्ट बनूँ क्योंकि पार्वतीजी ‘भवानी शंकरों वन्दे श्रद्धा विश्वास रुपिनों’ आप श्रद्धा की मूर्ति है माँ मैं श्रद्धा से पुष्ट बनूँ मैं गुरुदेव के प्रति विचार रूपी सात्विक श्रद्धा से पुष्ट बनूँ |*
*शिव गायत्री मंत्र – ॐ तत्पुरुषाय विद्महे | महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात् ।।*