
*~ हिन्दू पंचांग ~
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*दिनांक – 24 दिसम्बर 2024*
*दिन – मंगलवार*
*विक्रम संवत् – 2081*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – शिशिर*
* अमांत – 10 गते पौष मास प्रविष्टि*
* राष्ट्रीय तिथि – 3 पौष मास*
*मास – पौष*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – नवमी शाम 07:52 तक, तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र – हस्त दोपहर 12:17 तक तत्पश्चात चित्रा*
*योग – शोभन शाम 08:54 तक, तत्पश्चात अतिगण्ड*
*राहु काल – दोपहर 02:48 से शाम 04:03 तक*
*सूर्योदय – 07:10*
*सूर्यास्त – 05:24*
*दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:31 से 06:25 तक*
*अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:18 से दोपहर 01:01 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 दिसम्बर 25 से रात्रि 01:06 दिसम्बर 25 तक*
*विशेष – नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*आरती में कपूर का उपयोग क्यों ?
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*सनातन संस्कृति में पुरातन काल से आरती में कपूर जलाने की परम्परा है । आरती के बाद आरती के ऊपर हाथ घुमाकर अपनी आँखों पर लगाते हैं, जिससे दृष्टी -इन्द्रिय सक्रिय हो जाती है । पूज्य बापूजी के सत्संग -वचनामृत में आता है : “आरती करते हैं तो कपूर जलाते हैं । कपूर वातावरण को शुद्ध करता है, पवित्र वातावरण की आभा पैदा करता है । घर में देव-दोष है, पितृ -दोष हैं, वास्तु -दोष हैं, भूत -पिशाच का दोष है या किसीको बुरे सपने आते हैं तो कपूर की ऊर्जा उन दोषों को नष्ट कर देती है ।*
*बोलते हैं कि संध्या होती है तो दैत्य-राक्षस हमला करते हैं इसलिए शंख , घंट बजाना चाहिए, कपूर जलाना चाहिए, आरती-पूजा करनी चाहिए अर्थात संध्या के समय और सुबह के समय वातावरण में विशिष्ट एवं विभिन्न प्रकार के जीवाणु होते हैं जो श्वासोच्छवास के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करके हमारी जीवनरक्षक जीवनरक्षक कोशिकाओं से लड़ते हैं । तो देव-असुर संग्राम होता है, देव माने सात्त्विक कण और असुर माने तामसी कण । कपूर की सुगंधि से हानिकारक जीवाणु एवं विषाण रूपी राक्षस भाग जाते हैं ।*
*वातावरण में जो अशुद्ध आभा है इससे तामसी अथवा निगुरे लोग जरा-जरा बात में खिन्न होते हैं, पीड़ित होते हैं लेकिन कपूर और आरती का उपयोग करनेवालों के घरों में ऐसे कीटाणुओं का, ऐसो हलकी आभा का प्रभाव नहीं टिक सकता है ।*
*अत: घर में कभी-कभी कपूर जलाना चाहिए, गूगल का धूप करना चाहिए । कभी-कभी कपूर की १ – २ छोटी-छोटी गोली मसल के घर में छिटक देनी चाहिए । उसकी हवा से ऋणायान बनते हैं, जो हितकारी हैं । वर्तमान के माहौल में घर में दीया जलाना अथवा कपूर की कभी-कभी आरती कर लेना अच्छा है ।*