
** हिन्दू पंचांग ~
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*दिनांक – 29 दिसम्बर 2024*
*दिन – रविवार*
*विक्रम संवत् – 2081*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – शिशिर*
* अमांत – 15 गते पौष मास प्रविष्टि*
* राष्ट्रीय तिथि – 8 पौष मास*
*मास – पौष*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – चतुर्दशी प्रातः 04:01 दिसम्बर 30 तक, तत्पश्चात अमावस्या*
*नक्षत्र – ज्येष्ठा रात्रि 11:22 तक तत्पश्चात मूल*
*योग – गण्ड रात्रि 09:14 तक, तत्पश्चात वृद्धि*
*राहु काल – शाम 04:06 से शाम 05:22 तक*
*सूर्योदय – 07:11*
*सूर्यास्त – 05:25*
*दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:34 से 06:27 तक*
*अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:20 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:16 दिसम्बर 30 से रात्रि 01:09 दिसम्बर 30 तक*
* व्रत पर्व विवरण – मासिक शिवरात्रि, सर्वार्थसिद्धि योग (रात्रि 11:22 से प्रातः 07:20 दिसम्बर 30 तक)*
*विशेष – चतुर्दशी को स्त्री सहवास और तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*सर्दियों में उपयोगी पुष्टि व शक्तिवर्धक प्रयोग
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*१] २५ ग्राम देशी काले चने धोकर रात को १२५ मि.ली. पानी में भिगो दें । सुबह इन चनों को खूब चबा – चबाकर खायें, साथ में किशमिश भी खा सकते हैं । ऊपर से चने के पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर पी जायें । शरीर बलवान व शक्तिशाली होता है तथा वीर्य पुष्ट होता है ।*
*२] ५० ग्राम गोंद को घी में तल लें । ५० – ५० ग्राम अजवायन, काले तिल व मूँगफली के दानों को अलग – अलग भूनकर सभीको कूट लें । फिर इस मिश्रण को तथा किसे हुए ५० ग्राम सूखे नारियल (खोपरा) को ७५० ग्राम गुड़ में मिला के रख लें । सुबह खाली पेट ५० ग्राम मिश्रण खूब चबा – चबाकर खायें ।इसके १ – २ घंटे बाद हलका सुपाच्य भोजन करें । इससे शरीर पुष्ट होता है, बल-वीर्य की वृद्धि होती है । वायुरोग, बहुमुत्रता व बच्चों की बिस्तर में पेशाब करने की समस्या में भी लाभ होता है ।*
*तुलसी की जीवन में महत्ता व उपयोगिता
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*‘स्कंद पुराण’ (का.खं. :२१.६६) में आता है : ‘जिस घर में तुलसी – पौधा विराजित हो, लगाया गया हो, पूजित हो, उस घर में यमदूत कभी भी नहीं आ सकते ।’*
*जहाँ तुलसी – पौधा रोपा गया है, वहाँ बीमारियाँ नहीं हो सकतीं क्योंकि तुलसी – पौधा अपने आसपास के समस्त रोगाणुओं, विषाणुओं को नष्ट कर देता है एवं २४ घंटे शुद्ध हवा देता है । वहाँ निरोगता रहती है, साथ ही वहाँ सर्प, बिच्छू, कीड़े-मकोड़े आदि नहीं फटकते । इस प्रकार तीर्थ जैसा पावन वह स्थान सब प्रकार से सुरक्षित रहकर निवास-योग्य माना जाता है । वहाँ दीर्घायु प्राप्त होती है ।*
*तुलसी निर्दोष है । सुबह तुलसी के दर्शन करो । उसके आगे बैठ कर लम्बे श्वास लो और छोड़ो, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, दमा दूर रहेगा अथवा दमे की बीमारी की सम्भावना कम हो जायेगी । तुलसी को स्पर्श करके आती हुई हवा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है और तमाम रोग व हानिकारक जीवाणुओं को दूर रखती है ।’*
*तुलसी रोपने तथा उसे दूध से सींचने पर स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । तुलसी की मिट्टी का तिलक लगाने से तेजस्विता बढ़ती है ।*
*दूध के साथ तुलसी वर्जित है, बाकी पानी, दही, भोजन आदि हर चीज के साथ तुलसी ले सकतें हैं । रविवार को तुलसी ताप उत्पन्न करती है, इसलिए रविवार को तुलसी न तोड़ें, न खायें । ७ दिन तक तुलसी – पत्ते बासी नहीं माने जाते ।*
*विज्ञान का आविष्कार इस बात को स्पष्ट करने में सफल हुआ है कि तुलसी में विद्युत् – तत्त्व उपजाने और शरीर में विद्युत् – तत्त्व को सजग रखने का अद्भुत सामर्थ्य है । थोडा तुलसी – रस लेकर तेल की तरह थोड़ी मालिश करें तो विद्युत् – प्रवाह अच्छा चलेगा।