
*~ हिन्दू पंचांग ~
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*दिनांक – 10 जनवरी 2025*
*दिन – शुक्रवार*
*विक्रम संवत् – 2081*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – शिशिर*
* अमांत – 27 गते पौष मास प्रविष्टि*
* राष्ट्रीय तिथि – 20 पौष मास*
*मास – पौष*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – एकादशी प्रातः 10:19 तक, तत्पश्चात द्वादशी*
*नक्षत्र – कृत्तिका दोपहर 01:45 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*योग – शुभ दोपहर 02:37 तक, तत्पश्चात शुक्ल*
*राहु काल – सुबह 11:08 से दोपहर 12:24 तक*
*सूर्योदय – 07:14*
*सूर्यास्त – 05:36*
*दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:37 से 06:30 तक*
*अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:26 से दोपहर 01:09 तक*
*निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:21 जनवरी 11 से रात्रि 01:14 जनवरी 11 तक*
* व्रत पर्व विवरण – पुत्रदा एकादशी, तैलंग स्वामी जयंती, कूर्म द्वादशी*
*विशेष – एकादशी को शिम्बी (सेम) व द्वादशी को पूतिका (पोइ) खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*पुत्रदा एकादशी : 10 जनवरी 2025
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*एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?
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*1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*
*2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*
*हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*
*4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) – इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) – इनका सेवन न करें ।*
*7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*
*12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*
*14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*