
उत्तराखंड डेली न्यूज़: ब्योरो

तराई पूर्वी वन प्रभाग में दुर्लभ फिशिंग कैट दिखने से वन कर्मचारियों और अधिकारियों में खुशी की लहर है।
हल्द्वानी: तराई पूर्वी वन प्रभाग का जंगल वन्यजीवों के लिए सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है. जिसका नतीजा है कि यहां पर हाथी,बाघ, गुलदार के अलावा कई प्रजातियों के वन्यजीव पाए जाते हैं. तराई पूर्वी वन विभाग के जंगल में पहली बार विलुप्त प्रजाति के फिशिंग कैट सामने आई है, इसके बाद से वन विभाग उत्साहित नजर आ रहा है।प्रभागीय वनाधिकारी हिमांशु बागड़ी ने बताया कि सितारगंज रेंज के बाराकोली क्षेत्र में नियमित गश्त के दौरान इस संकटग्रस्त फिशिंग कैट (प्रियोनैलूरस विवरिनस) जंगली बिल्ली को वन विभाग द्वारा रेस्क्यू किया गया है. इसके बाद इसको रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर में उपचार देते हुए उसके मूल स्थान पर छोड़ा गया है. डीएफओ हिमांशु बागड़ी ने बताया कि फिशिंग कैट एक मध्यम आकार की जंगली बिल्ली होती है. जो सामान्य बिल्ली से चार गुनी बड़ी होती है. भारत में इस प्रजाति की उपस्थिति मुख्य रूप से पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों में दर्ज की गई है।
जबकि उत्तराखंड में इसकी उपस्थिति बहुत दुर्लभ है. अब तक केवल कुछ ही बार इसका दस्तावेजीकरण किया गया है. फिशिंग कैट अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने फिशिंग कैट को ‘संकटग्रस्त’ की श्रेणी में सूचीबद्ध किया है. जो इसके वन्यजीवन में लुप्त होने के उच्च जोखिम को अंकित करता है. खूबसूरत बिल्ली (फिशिंग कैट) मछली खाने की शौकीन होती है. यह अपने घर की सीमा खुद तय करती है, यह आमतौर पर रात के वक्त ज्यादा सक्रिय होती है. सालों बाद फिशिंग कैट का नजर आना जैव विविधता के लिहाज से अच्छा संकेत है. फिशिंग कैट का अस्तित्व संकट में है. यह भारत के अलावा बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन, म्यांमार, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका में भी पाई जाती हैं. यहां इनके शिकार पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा है. दुर्लभ फिशिंग कैट का उत्तराखंड में दिखना वन महकमे के लिए अच्छी खबर है।