
*~ हिन्दू पंचांग ~
*

*दिनांक – 16 अप्रैल 2024*
*दिन – मंगलवार*
*विक्रम संवत् – 2081*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – वसंत*
*अमांत – 4 गते वैशाख मास प्रविष्टि*
*राष्ट्रीय तिथि – 27 फाल्गुन मास*
*मास – चैत्र*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – अष्टमी दोपहर 01:23 तक तत्पश्चात नवमी*
*नक्षत्र – पुष्य 05:16 अप्रैल 17 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*योग- धृति रात्रि 11:17 तक तत्पश्चात शूल*
*राहु काल – दोपहर 03:29 से शाम 05:05 तक*
*सूर्योदय – 05:49*
*सूर्यास्त – 06:45*
*दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:49 से 05:35 तक*
* अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:13 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:15 अप्रैल 17 से रात्रि 01:01 अप्रैल 17 तक*
* व्रत पर्व विवरण- महातारा जयंती, मासिक दुर्गाष्टमी*
*विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
* चैत्र नवरात्रि
*
* नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है । आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं । श्री महागौरी की आराधना से सोमचक्र जागृत हो जाता है और इस चक्र से संबंधित सभी शक्तियां श्रद्धालु को प्राप्त हो जाती है । मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वत: ही प्राप्त हो जाते हैं ।*
*नवरात्रि की अष्टमी यानी आठवें दिन माता दुर्गा को नारियल का भोग लगाएं । इससे घर में सुख समृद्धि आती है ।*
*आहार-सम्बन्धी कुछ आवश्यक नियम
*
*१- सदैव अपने कार्यके अनुसार आहार लेना चाहिये । यदि आपको कठोर शारीरिक परिश्रम करना पड़ता है तो अधिक पौष्टिक आहार लेवें । यदि आप हलका शारीरिक परिश्रम करते हैं तो हलका सुपाच्य आहार लेवें ।*
*२- प्रतिदिन निश्चित समयपर ही भोजन करना चाहिये ।*
*३- भोजनको मुँहमें डालते ही निगले नहीं, बल्कि खूब चबाकर खायें, इससे भोजन शीघ्र पचता है ।*
*४- भोजन करनेमें शीघ्रता न करें और न ही बातोंमें व्यस्त रहें ।*
*५- अधिक मिर्च-मसालोंसे युक्त तथा चटपटे और तले हुए खाद्य पदार्थ न खायें। इससे पाचन-तन्त्रके रोगविकार उत्पन्न होते हैं ।*
*६- आहार ग्रहण करनेके पश्चात् कुछ देर आराम अवश्य करें ।*
* ७- भोजनके मध्य अथवा तुरंत बाद पानी न पीयें । उचित तो यही है कि भोजन करनेके कुछ देर बाद पानी पिया जाय, किंतु यदि आवश्यक हो तो खानेके बाद बहुत कम मात्रामें पानी पी लेवें और इसके बाद कुछ देर ठहरकर ही पानी पीयें ।*
* ८- ध्यान रखें, कोई भी खाद्य पदार्थ बहुत गरम या बहुत ठंडा न खायें और न ही गरम खानेके साथ या बादमें ठंडा पानी पीयें ।*
* ९- आहार लेते समय अपना मन-मस्तिष्क चिन्तामुक्त रखें ।*
* १०- भोजनके बाद पाचक चूर्ण या ऐसा ही कोई भी अन्य औषध-पदार्थ सेवन करनेकी आदत कभी न डालें । इससे पाचन-शक्ति कमजोर हो जाती है ।*
* ११- रात्रिको सोते समय यदि सम्भव हो तो गरम ( गुनगुना ) दूधका सेवन करें ।*
* १२- भोजनोपरान्त यदि फलोंका सेवन किया जाय तो यह न केवल शक्तिवर्द्धक होता है, बल्कि इससे भोजन शीघ्र पच भी जाता है ।*
* १३- जितनी भूख हो, उतना ही भोजन करें। स्वादिष्ठ पकवान अधिक मात्रामें खानेका लालच अन्ततः अहितकर होता है ।*
* १४- रात्रिके समय दही या लस्सीका सेवन न करें ।*