
*~ हिन्दू पंचांग ~
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*दिनांक – 23 अगस्त 2024*
*दिन – शुक्रवार*
*विक्रम संवत् – 2081*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – शरद*
* अमांत – 8 गते भाद्रपद मास प्रविष्टि*
* राष्ट्रीय तिथि – 2 श्रावण मास*
*मास – भाद्रपद*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – चतुर्थी प्रातः 10:38 तक तत्पश्चात पंचमी*
*नक्षत्र – रेवती शाम 07:54 तक तत्पश्चात अश्विनी*
*योग – शूल प्रातः 09:31 तक, तत्पश्चात गंड प्रातः 06:09 अगस्त 24 तक, तत्पश्चात वृद्धि*
*राहु काल – प्रातः 10:43 से दोपहर 12:19 तक*
*सूर्योदय – 05:49*
*सूर्यास्त – 06:50*
*दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:49 से 05:34 तक*
* अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:16 से दोपहर 01:08 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:20 अगस्त 24 से रात्रि 01:05 अगस्त 24 तक*
* व्रत पर्व विवरण – सर्वार्थ सिद्धि योग (पूर्ण रात्रि तक), अमृत सिद्धि योग (प्रातः 06:19 से शाम 07:54 तक)*
*विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है व पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*सुखमय जीवन के सोपान-स्वाति के मोती
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*कलियुग से बचने के लिए हरेक भाई-बहन को नल-दमयंती की कथा पढ़नी चाहिए । नल-दमयंती की कथा पढ़ने से कलियुग का असर नही होगा, बुद्धि शुद्ध होगी ।*
*गाय की सेवा करने से सब कामनाएं सिद्ध होती है । गाय को सहलाने से, उसकी पीठ आदि पर हाथ फेरने से वह प्रसन्न होती है । असाध्य रोगों में लगभग ६-१२ महीने यह प्रयोग करना चाहिए ।*
*कहीं जाते समय रास्ते में गाय आ जाय तो उसे अपनी दाहिनी तरफ करके निकालना चाहिए । दाहिनी तरफ करने से उसकी परिक्रमा हो जाती है ।*
*रोगी व्यक्ति कुछ भी खा-पी न सके तो गेहूँ आदि अग्नि में डालकर उसका धुआँ देना चहिये । उस धुएँ से रोगी को पुष्टि मिलती है ।*
*मरणासन्न व्यक्ति के सिरहाने गीता जी रखें । दाह-संस्कार के समय उस ग्रन्थ को गंगाजी में बहा दें, जलाये नहीं ।*
*मृतक के अग्नि-संस्कार की शुरआत तुलसी की लकड़ियों से करें अथवा उसके शरीर पर थोड़ी सी तुलसी की लकड़ियाँ बिछा दें, इससे दुर्गति से रक्षा होती है ।*
*घर में किसी की मृत्यु होने पर सत्संग, मंदिर और तीर्थ – इन तीनों में शोक नहीं करना चाहिए अर्थात इन तीनों जगह जरुर जाना चाहिए ।*