
*~ हिन्दू पंचांग ~
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*दिनांक – 1 मार्च 2025*
*दिन – शनिवार*
*विक्रम संवत् – 2081*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – बसन्त*
*मास – फाल्गुन*
*अमांत – 18 गते फाल्गुन मास प्रविष्टि*
*राष्ट्रीय तिथि – 10 फाल्गुन मास*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – द्वितीया रात्रि 12:09 मार्च 2 तक, तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र – पूर्व भाद्रपद सुबह 11:22 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
*योग – साध्य शाम 4:25 तक तत्पश्चात शुभ*
*राहु काल – सुबह 9:38 से सुबह 11:04 तक*
*सूर्योदय – 06:43*
*सूर्यास्त – 06:16*
*दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:23 से 06:12 तक*
*अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:29 से दोपहर 01:15 तक*
*निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:27 मार्च 02 से रात्रि 01: 16 मार्च 02 तक*
*व्रत पर्व विवरण – फुलैरा दूज, श्री रामकृष्ण परमहंस जयन्ती, संत दादू दयालजी जयंती, त्रिपुष्कर योग ( सुबह 07:01 से सुबह 11:22 तक)*
*विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटहरी) खाना निषिद्ध है। ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*मन में शांति की लहरें प्रकट करनेवाली मुद्रा : शांत मुद्रा
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*यह मुदा कोध को शांत करने में अत्यंत लाभदायी है, इसीलिए इसका नाम ‘शांत मुद्रा’ रखा गया है ।*
*लाभ : (१) जिसे बार-बार क्रोध आता हो या स्वभाव चिड़चिड़ा हो, उसके लिए यह मुद्रा वरदानस्वरूप है । इस मुद्रा से क्रोध तत्काल शांत हो जाता है ।*
*(२) क्रोध के स्पंदनों पर शांति के स्पंदनों का टकराव होने से शरीर का तान-तनाव कम हो जाता है ।*
*(३) मन भी आसानी से शांत हो जाता है । शांतिवर्धक लहरें तन-मन में संचारित होने लगती हैं ।*
*(४) इस मुद्रा को करने पर आप विशेष एकाग्रता का अनुभव करेंगे ।*
*विधि : (१) ध्यान के लिए अनुकूल पड़े ऐसे किसी भी आसन में बैठ जायें। आप यात्रा के समय भी किसी अनुकूल आसन में यह कर सकते हैं ।*
*(२) उँगलियों के अग्रभागों को अँगूठे के अग्रभाग से चारों तरफ से मिलायें। अँगूठे व उँगलियों को थोड़ा- सा मोड़ें, जिससे उँगलियों के अग्रभाग अँगूठे के अग्रभाग से अच्छी तरह मिल जायें ।*
*(३) अँगूठे के अग्रभाग पर एकाग्र हों और उँगलियों की सनसनी अनुभव करें ।*
*मुद्रा-विज्ञान : पाँचों उँगलियाँ मिलाने पर अग्नि, वायु, आकाश, पृथ्वी और जल ये पाँचों तत्त्व इकट्ठे हो जाते हैं । इससे प्राणशक्ति पुष्ट होती है ।*