
उत्तराखंड डेली न्यूज़:ब्योरो

दून में किताबों की दुकानों पर कार्रवाई के विरोध में बुधवार को व्यापारियों ने दुकानें बंद रखकर विरोध जताया। व्यापारियों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया। सिटी मजिस्ट्रेट को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।व्यापारियों ने विरोध में बृहस्पतिवार को भी किताबों की दुकानें बंद रखने का निर्णय लिया। व्यापारियों ने मांग पूरी न होने तक दुकान बंद रखने का एलान किया। मंगलवार को दून में पुलिस और प्रशासन की टीम ने किताबों की चार दुकानों को सील किया था। व्यापारियों का आरोप है कि टीम ने बिना सूचना दिए औैर अनाधिकृत रूप से दुकानोंं को सील किया। साथ ही मुकदमे दर्ज किए। विरोध में दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल और दून घाटी बुक सेलर एसोसिएशन के नेतृत्व में व्यापारियों ने डीएम कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया।
साथ ही दुकानों को अनिश्चितकाल तक बंद करने और आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी। व्यापार मंडल के अध्यक्ष पंकज मैसोंन और एसोसिएशन के अध्यक्ष रणधीर अरोड़ा ने कहा कि प्रशासन ने बेबुनियाद मुकदमे दर्ज किए हैं। कहा कि मुकदमा वापस लिया जाए और सील की गई दुकानों को खेला जाए। ऐसा नहीं हुआ तो जल्द ही किताबों के साथ ही दून की सभी दुकानों को बंद रखा जाएगा।
इस मौके पर संयोजक अशोक अग्रवाल, हरीश वीरमणि, पंकज डीढ़ान, सुमित कोहली, रोहित बेहल, दीपू नागपाल, दिव्य सेठी, रजत गुप्ता, देवेंद्र साहनी, मन्नी अरोड़ा आदि मौजूद रहे।
व्यापारियों ने सिटी मजिस्ट्रेट को दिए ज्ञापन में 29 मार्च को हुई अधिकारियों की ओर से की गई कार्रवाई पर सवाल उठाए है। उन्होंंने कहा कि अधिकारियों ने ओवररेटिंग का हवाला देते हुए जो कार्रवाई की, उसमें किसी प्रकार की अनियमितता नहीं पाई गई। इसके बावजूद आईएसबीएन का हवाला देते हुए कुछ किताबों को गलत और डुप्लीकेट बताया गया। कहा, आईएसबीएन किसी भी पुस्तक को कानूनी रूप से वैध या अवैध घोषित नहीं करता। यह केवल राजा राम मोहन रॉय नेशनल एजेंसी की ओर से अलॉट किया जाता है और इसका उल्लंघन किसी भी कॉपीराइट कानून या पायरेसी अधिनियम के तहत नहीं आता। कहा, किसी पुस्तक की वैधता केवल उसके संबंधित प्रकाशक की शिकायत पर तय हो सकती है।